प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक और देश की ‘हरित क्रांति' में अहम योगदान देने वाले एम एस स्वामीनाथन का गुरुवार को निधन हो गया. वह 98 वर्ष के थे. उनके परिवार में तीन बेटियां हैं. एम एस स्वामीनाथन (M S Swaminathan) रिसर्च फाउंडेशन के सूत्रों ने बताया कि उनका कुछ वक्त से उम्र संबंधी बीमारियों के लिए इलाज चल रहा था.
पीएम मोदी ने जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन के निधन पर दुख जताया और साथ ही कहा कि कृषि क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदला और राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की. प्रधानमंत्री ने स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था तथा उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा.
मोदी ने ‘एक्स' पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, ‘‘डॉ एम एस स्वामीनाथन के निधन से गहरा दुख हुआ. हमारे देश के इतिहास में एक बहुत ही नाजुक अवधि में, कृषि में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की.''
स्वामीनाथन को मिले थे कई पुरस्कार
1987 में प्रोफेसर स्वामीनाथन को प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. जिसे कृषि के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान के रूप में देखा जाता है. उन्हें कई अन्य पुरस्कार भी प्राप्त हुए थे. जिनमें 1971 में प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और 1986 में विज्ञान के लिए अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व पुरस्कार शामिल है. प्रोफेसर स्वामीनाथन को टाइम पत्रिका द्वारा 20वीं सदी के बीस सबसे प्रभावशाली एशियाई लोगों में से एक बताया गया था.
उनकी पत्नी मीना स्वामीनाथन का पिछले साल निधन हो गया था. उनकी बेटी सौम्या स्वामीनाथन, विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक रह चुकी हैं. कोरोना के दौरान उनके कार्यों की काफी चर्चा हुई थी.
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