सतह पर आई भारत राष्ट्र समिति की गुटबाजी, किस बात पर के कविता और केटीआर में चल रहे हैं शब्दबाण

तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति में उत्तराधिकारी की लड़ाई अब सतह पर आ गई है. पार्टी की विधान परिषद सदस्य और पार्टी प्रमुख की बेटी के कविता ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया है, लेकिन माना जा रहा है कि उनके निशाने पर उनके भाई हैं.

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नई दिल्ली:

तेलंगाना की मुख्य विपक्षी पार्टी भारत राष्ट्र समिति में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. दरअसल पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव पर के कविता ने गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि केटीआर अपनी पार्टी की बीजेपी में विलय कराने की तैयारी कर रहे थे. के कविता और केटीआर सगे भाई-बहन और पार्टी के संस्थापक के चंद्रशेखर राव के बेटा-बेटी हैं. बीआरएस महिला मोर्चे की प्रमुख कविता आरोप लगा रही हैं कि उन्हें पार्टी से निकालने की साजिशें की जा रही हैं. वह अपने भाई ही नहीं बल्कि अपने पिता केसीआर से भी नाराज हैं. उनका कहना है कि केसीआर का रुख बीजेपी के लिए साफ्ट है. इससे लोगों ने कयास लगा रहे हैं कि भविष्य में बीजेपी और बीआरएस गठबंधन कर सकते हैं.इससे तेलंगाना में बीआरएस की स्थिति कमजोर हो रही है.  

क्यों भाई के खिलाफ खड़ी हो गई है बहन

कविता तेलंगाना विधान परिषद की सदस्य हैं. उन्होंने अपने पिता को दो मई को एक निजी पत्र लिखा था. यह पत्र मई के तीसरे हफ्ते में मीडिया में सार्वजनिक हो गया था. भाई-बहन का विवाद इसी के बाद सामने आया. कविता ने गुरुवार को आरोप लगाया कि पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव उन्हें पार्टी से निकालने और अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाए हैं कि जब वह जेल में थीं तो पार्टी का बीजेपी में विलय का प्रस्ताव उनके पास आया था. लेकिन मैंने इसका विरोध किया था. उन्होंने आरोप लगाया है कि यह प्रयास आज भी जारी है.केटीआर इन दिनों विदेश यात्रा पर हैं. 

के कविता का कहना है कि उन्हें पार्टी में किनारे लगाने की साजिशें रची जा रही हैं.

केसीआर की बेटी का आरोप है कि जब वह दिल्ली की शराब नीति मामले में जेल में बंद थीं तो तब कुछ लोगों ने बीआरएस को भारतीय जनता पार्टी में मिलाने की कोशिश की थी. इसका उन्होंने सख्त विरोध किया था और आगे भी करती रहूंगी. अपने पिता को लिखे पत्र का जिक्र कविता ने गुरुवार को भी किया था. उन्होंने कहा कि कुछ हफ्ते पहले मैंने अपने पिता और पार्टी के प्रमुख के चंद्रशेखर राव को एक निजी पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि पार्टी के अंदर साजिशें हो रही हैं. कविता का आरोप है कि ये चिट्ठी पार्टी के कुछ लोगों ने लीक कर दी.उन्होंने कहा कि वो केसीआर की बेटी हूं, अगर मेरा पत्र अंदर ही अंदर लीक हो गया, तो पार्टी में दूसरों के भाग्य पर बहस होनी चाहिए. 

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पिता को बताया भगवान

अपने पिता को भगवान बताते हुए कविता ने कहा कि केसीआर के आसपास कुछ शैतान जैसे लोग हैं, जो बहुत नुकसान पहुंचा रहे हैं.मैं उनकी बेटी हूं, जब मेरी निजी चिट्ठी ही लीक हो सकती है, तो बाकी लोगों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा है कि तेलंगाना के लोगों को समझना चाहिए कि आखिर यह चल क्या रहा है. उन्होंने बताया था कि चिट्‌ठी में उन्होंने अपने पिता को बताया था कि हाल ही में पार्टी की सिल्वर जुबली कार्यक्रम में उन्होंने जो भाषण दिया था, वह बीजेपी भाजपा के खिलाफ मजबूत रुख नहीं दिखाता. उन्होंने आरोप लगाया है कि पार्टी में उनकी भूमिका को सीमित किया जा रहा है.

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दरअसल कविता की नाराजगी की वजह यह है कि वो जब जेल में थीं तो उनकी पार्टी ने उस तरह से उनके पक्ष में माहौल नहीं बनाया जिस तरह उसे बनाना चाहिए था. पार्टी के सिल्बर जुबली समारोह में बहुत महत्व न दिए जाने से भी कविता नाराज बताई जा रही हैं. उनका कहना है कि सिल्बर जुबली समारोह की प्रचार सामग्री पर केवल केसीआर और केटीआर के फोटों को ही जगह मिली थी.उनको लगता है कि यह उन्हें पार्टी में दरकिनार करने की साजिश का हिस्सा है. दिल्ली की शराब नीति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई ने कविता को पिछले साल मार्च में गिरफ्तार कर लिया था. वो अगस्त में दिल्ली की तिहाड़ जेल से रिहा हुई थीं.

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पार्टी प्रमुख के चंद्रशेखर राव अभी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं.

कविता के भाई और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटीआर चिट्ठी लीक को लेकर सार्वजनिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा है. उन्होंने कुछ दिन पहले कहा था कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है और कोई भी केसीआर को पत्र लिख सकता है.

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दरअसल यह बीआरएस में उत्तराधिकार की लड़ाई है.बीआरएस को इस लड़ाई का सामना ऐसे समय करना पड़ रहा है, जब पार्टी अपनी स्थापना का सिल्बर जुबली मना रही है. यह लड़ाई भी 25वें स्थापना दिवस समारोह के आयोजन के बाद ही शुरू हुई है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथों मिली हार के बाद से ही पार्टी के कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं. भाई-बहन की यह लड़ाई एक तरह से केसीआर के कमजोर पड़ने की ओर इशारा करते हैं. आज हालत यह है कि बीआरएस में केटीआर और कविता के गुट काम कर रहे हैं. दोनों गुट एक दूसरे पर हमले का कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं.

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