सीबीआई ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष दावा किया कि आबकारी नीति घोटाला मामले में गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया गंभीर आर्थिक अपराध में शामिल हैं और अपराध के तौर-तरीकों को उजागर करने के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं. आप के वरिष्ठ नेता की जमानत याचिका का विरोध करते हुए सीबीआई ने एक संक्षिप्त लिखित उत्तर में यह दलील दी कि इसमें (याचिका में) कोई दम नहीं है और यह मामले में जांच की प्रगति को विफल करने के लिए कानून की पेचीदगियों का दुरुपयोग करने का प्रयास है.
सिसोदिया के वकील ने मांगी जमानत
सीबीआई ने तर्क दिया कि सिसोदिया “साजिश के सरगना और शिल्पकार” हैं और उनका प्रभाव और दबदबा उन्हें सह-आरोपी के साथ किसी भी समानता के लिए अयोग्य बनाता है. वहीं आप नेता ने उच्च न्यायालय से उन्हें जमानत देने का आग्रह किया और दावा किया कि सीबीआई को कथित अपराध की आय से जोड़ने वाला कोई साक्ष्य नहीं मिला है. उनके वकील ने राहत पाने वाले अन्य आरोपियों के समान ही उनके साथ भी व्यवहार किए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि सिसोदिया मामले में गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने की स्थिति में नहीं हैं.
निचली अदालत ने नहीं दी थी जमानत
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने सिसोदिया के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद सीबीआई के वकील द्वारा दलीलें पेश करने के लिए 26 अप्रैल की तारीख तय की. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कई दौर की पूछताछ के बाद 26 फरवरी को दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को तैयार करने और लागू करने में कथित भ्रष्टाचार के आरोप में सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. निचली अदालत ने 31 मार्च को इस मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वह ‘घोटाले' के ‘प्रथम दृष्टया सूत्रधार' हैं और उन्होंने दिल्ली सरकार में उन्हें और उनके सहयोगियों के लिए 90-100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत के कथित भुगतान से संबंधित आपराधिक साजिश में ‘सबसे महत्वपूर्ण और अहम भूमिका' निभाई है.
सिसोदिया ने पत्नी की बीमारी का हवाला दिया
सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने निचली अदालत के जमानत से इनकार करने के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि निचली अदालत ने आप नेता की पत्नी की चिकित्सा स्थिति पर विचार नहीं किया है, जो मल्टीपल स्केलेरोसिस से पीड़ित है. कृष्णन ने कहा कि सिसोदिया की पत्नी की हालत बिगड़ती जा रही है. उन्होंने कहा कि सिसोदिया के खिलाफ लगाए गए सभी अपराध सात साल तक के कारावास के साथ दंडनीय हैं, ये कुछ ऐसा है जो आप नेता के पक्ष में जाना चाहिए. वकील ने यह भी तर्क दिया कि मामले में सुनवाई जल्द ही समाप्त नहीं होने वाली है.
सीबीआई ने आचरण पर उठाए सवाल
सिसोदिया का ही प्रतिनिधित्व कर रहे एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर ने कहा, आरोप है कि वह इस मामले में शामिल धनराशि में हिस्सेदार थे, यह “सब हवा हवाई बातें” हैं और रकम उन्हें दिए जाने के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं. सीबीआई ने अपने जवाब में कहा कि सिसोदिया को जांच के दौरान असहयोगात्मक आचरण के कारण 26 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था और संवेदनशील दस्तावेजों और गवाहों से उनका सामना कराया गया है. एजेंसी ने दावा किया, “इस बात की पूरी संभावना है कि यदि आवेदक को जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेगा और गवाहों को प्रभावित करेगा, विशेष रूप से जांच को पटरी से उतारने के लिए उसके पिछले आचरण के आलोक में.”
फाइल गायब करने का दिया उदाहरण
एजेंसी ने कहा, “इस तरह की आशंकाएं तब और प्रबल हो जाती हैं, जब आबकारी विभाग से संबंधित 28 जनवरी 2021 के कैबिनेट नोट वाली फाइल गायब है. इसके अतिरिक्त, आवेदक ने उस दिन अपने मोबाइल फोन को भी नष्ट कर दिया, जिस दिन उपराज्यपाल द्वारा 22 जुलाई, 2022 को सीबीआई को वर्तमान मामला संदर्भित किया गया था.” उसने कहा, “आवेदक कार्यप्रणाली का पता लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी है. आवेदक जांच को पटरी से उतारने के प्रयास में पूरी जांच के दौरान असहयोगपूर्ण और टालमटोल वाला रवैया अपनाए रहा.”
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