Election 2023: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के प्रचार में कांग्रेस ने जातीय गणना (Caste Census) को एक बड़े मुद्दे के रूप में पेश किया. खास तौर पर कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने तो इस मुद्दे को लेकर करीब सभी चुनावी रैलियों में बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया. कर्नाटक में कराई गई जातीय गणना कांग्रेस के लिए गले की फांस बनी हुई है और वह इसका ब्यौरा सार्वजनिक नहीं कर रही है. इसके बावजूद इन चुनावों में उसने इसे एक बड़े मुद्दे के रूप में प्रचारित किया. अब जब विधानसभा चुनावों के नतीजे करीब-करीब साफ ही हो चुके हैं. यह नतीजे यही संकेत दे रहे हैं कि कांग्रेस का जातीय जनगणना का मुद्दा असरकारक नहीं रहा.
कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Election) के लिए जारी किए गए अपने घोषणा-पत्र में जातीय गणना या जातिगत सर्वेक्षण को सबसे प्रमुख मुद्दे के रूप में पेश करके इसे अंजाम देने का वादा किया था. घोषणा पत्र की प्रस्तावना की पहली ही लाइन में सामाजिक न्याय और सामाजिक सुरक्षा की बात की गई थी. कांग्रेस ने रायपुर अधिवेशन में जातिगत जनगणना के समर्थन में प्रस्ताव भी पारित किया था.
राहुल गांधी अपनी चुनावी रैलियों में जातीय गणना की वकालत करते रहे और इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर हमले करते रहे. उन्होंने एक रैली में कहा था कि जातीय गणना एक 'एक्स-रे' की तरह होगी, जो विभिन्न समुदायों का पूरा विवरण देगी.
राहुल गांधी ने जातीय गणना के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तीखे हमले किए थे. उन्होंने छत्तीसगढ़ में एक रैली में कहा था कि प्रधानमंत्री खुद को पिछड़े वर्ग (OBC) से क्यों बताते हैं जबकि प्रधानमंत्री 'गरीब' को भारत में एकमात्र जाति मानते हैं. उन्होंने कहा था कि, 'अगर देश में गरीब ही एकमात्र जाति है तो फिर आप खुद को ओबीसी क्यों कहते हैं?' राहुल ने कहा था कि, "पीएम मोदी हर भाषण में कहते हैं, 'मैं ओबीसी हूं'. लेकिन जब मैं जाति जनगणना के बारे में बात करता हूं, तो वे कहते हैं कि भारत में कोई जाति नहीं है. भारत में केवल एक ही जाति है, वो है गरीब.''
राहुल गांधी ही नहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी जातीय गणना का मुद्दा चुनाव प्रचार के दौरान जगह-जगह उठाते रहे. उन्होंने एनडीटीवी से कहा था कि कांग्रेस "शुरू से ही" मांग करती रही है और इससे (जातीय गणना) हर समुदाय के विकास के बारे में स्पष्ट तस्वीर मिल जाएगी. उन्होंने कहा था कि इससे उनके विकास, रोजगार और स्किल डेवलपमेंट के लिए योजना तैयार करने में मदद मिलेगी.
कुल मिलाकर कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में, खास तौर पर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जातीय गणना के मुद्दे को जमकर हवा दी और इसके जरिए पिछड़ी जातियों के वोट बटोरने की कोशिश की, लेकिन उसकी यह कोशिश कामयाब नहीं हो सकी. वह राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सत्ता बरकरार रखने में नाकामयाब रही.