मैं जवाब दूंगा, लेकिन यही तेजी दूसरे मामलों में भी दिखाएं... चुनाव आयोग के नोटिस पर NDTV से बोले पवन खेड़ा

पवन खेड़ा ने कहा कि मैं 2016 में उस क्षेत्र से शिफ्ट हो गया था. तब से 4-5 बार वोटर लिस्ट में संशोधन हो चुका है, लेकिन मेरा नाम नहीं हटाया गया. इससे साफ है कि मतदाता सूची संशोधन के दौरान बीएलओ किस तरह काम करते हैं.

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  • पवन खेड़ा पर दो जगहों पर मतदाता सूची में नाम होने का आरोप लगा है, चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा है.
  • चुनाव आयोग ने खेड़ा से जवाब मांगा है और आठ सितंबर को उनके कार्यालय में उपस्थित होने को कहा गया है.
  • पवन खेड़ा ने मतदाता पहचान पत्र में गड़बड़ी से इनकार किया और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं.
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नई दिल्ली:

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा पर दो विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने का आरोप लगा है. इस मामले में चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा है. चुनाव आयोग के नोटिस पर पवन खेड़ा ने NDTV से कहा कि मैं नोटिस का जवाब दूंगा. उम्मीद है कि जिस तेजी से चुनाव आयोग ने मुझे नोटिस भेजा है, वही तेजी सभी मामलों में दिखाएगा.

पवन खेड़ा ने एनडीटीवी से कहा कि वोटर लिस्ट को दुरुस्त रखना और चुनाव कराना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है. अपने 'सुबह के स्टंट' से अमित मालवीय ने स्वीकार किया है कि आयोग मतदाता सूची की 'शुद्धता बनाए रखने में विफल' रहा है. उन्होंने कहा कि 2016 में घर बदलने के बाद नयी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से अपना नाम हटाने के लिए मेरे द्वारा फॉर्म 7 के आवेदन के बावजूद, नाम नहीं काटा गया.

खेड़ा ने कहा, '2016 से अब तक चार चुनाव - 2019 का लोकसभा, 2020 का विधानसभा, 2024 का लोकसभा, 2025 का विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इसलिए यह मान लेना सही होगा कि चार पुनरीक्षण भी हुए होंगे. फिर भी, मेरा नाम अभी तक नयी दिल्ली की मतदाता सूची में है.

कांग्रेस नेता ने तंज कसते हुए कहा, '(मुख्य चुनाव आयुक्त) ज्ञानेश गुप्ता' जी को अपने सहयोगियों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए. अनुराग ठाकुर के बाद, अमित मालवीय ने भी उन्हें निशाना बनाना ही सुविधाजनक समझा.'

चुनाव आयोग ने पवन खेड़ा से जवाब मांगा है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाए. साथ ही, पवन खेड़ा को 8 सितंबर को कार्यालय बुलाया गया है.

जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है, ‘‘मेरे संज्ञान में लाया गया है कि आपने अपना नाम एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में पंजीकृत कराया है.'' नोटिस के अनुसार, खेड़ा नयी दिल्ली और जंगपुरा विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं.

नोटिस में लिखा था, ‘‘जैसा कि आप जानते होंगे, एक से ज़्यादा निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में नाम दर्ज होना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत दंडनीय अपराध है. इसलिए, आपको कारण बताओ नोटिस जारी कर आपसे पूछा जाता है कि क्यों न आपके खिलाफ इस अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए.''

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इससे पहले भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दावा किया कि खेड़ा के पास जंगपुरा और नई दिल्ली दोनों विधानसभा क्षेत्रों में सक्रिय मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी नंबर) हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस नेता ने कई बार मतदान किया है, जो चुनावी कानून का उल्लंघन है.

इस आरोप पर पवन खेड़ा ने पलटवार करते हुए मतदाता पहचान पत्र में किसी गड़बड़ी से इनकार किया और इसके लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, "मैं 2016 में उस क्षेत्र से शिफ्ट हो गया था. तब से 4-5 बार वोटर लिस्ट में संशोधन हो चुका है, लेकिन मेरा नाम नहीं हटाया गया. इससे साफ है कि मतदाता सूची संशोधन के दौरान बीएलओ किस तरह काम करते हैं."

खेड़ा ने सवाल किया कि वोटर लिस्ट को दुरुस्त रखना और चुनाव कराना किसकी जिम्मेदारी है, कांग्रेस की या चुनाव आयोग की. उन्होंने कहा, "हम मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट और महाराष्ट्र के मतदाता बूथ की सीसीटीवी फुटेज की मांग कर रहे हैं, लेकिन हमें इनमें से कुछ भी नहीं मिल रहा. इसी वजह से हम इसे 'वोट चोरी' कहते हैं."

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कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं और यही कारण है कि उनकी पार्टी पारदर्शिता की मांग कर रही है. उन्होंने दावा किया कि बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' के दौरान ऐसे कई लोग सामने आए, जिनके जीवित होने के बावजूद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. खेड़ा ने कहा कि उनके खिलाफ राजनीति से प्रेरित आरोप लगाए गए हैं.

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