"मतदाताओं को धमकाने का मकसद": मतदान के सीसीटीवी फुटेज की मांग पर EC सूत्र

EC सूत्रों ने कहा कि वीडियोग्राफी देना फॉर्म 17 ए देने जैसा ही होगा और यह मतदान की गोपनीयता को भंग करना होगा. साथ ही ये जन-प्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन भी होगा.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins

मतदान का वीडियो और सीसीटीवी फुटेज 45 दिन से अधिक नहीं रखने पर हो रही आलोचनाओं का केंद्रीय चुनाव आयोग (EC) ने जवाब दिया है. सूत्रों ने स्पष्ट किया कि इस मांग के पीछे मतदाताओं को धमकाने का मकसद हो सकता है. यह मतदातों की निजता और मतदान की गोपनीयता को प्रभावित कर सकता है. फुटेज देखकर राजनीतिक दल यह पता कर सकते हैं कि किसी पोलिंग बूथ पर हुए मतदान में किस मतदाता ने वोट दिया और किसने नहीं दिया. इसके बाद उन्हें धमकाया जा सकता है.

चुनाव आयोग को किस बात का डर

EC सूत्रों ने कहा कि अभी के प्रावधान के अनुसार चुनाव आयोग पोलिंग बूथ के सीसीटीवी फुटेज और वीडियो को 45 दिनों तक संभाल कर रखता है, क्योंकि परिणाम के 45 दिनों के भीतर उसे चुनौती दी जा सकती है. इससे ज्यादा दिनों तक सीसीटीवी फुटेज रखने पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन होगा. वीडियोग्राफी देना फॉर्म 17 ए देने जैसा ही होगा और यह मतदान की गोपनीयता को भंग करना होगा. साथ ही ये जन-प्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन भी होगा.

राहुल गांधी ने क्या कहा था

राहुल गांधी ने आज ही एक्स पर पोस्ट कर लिखा, वोटर लिस्ट? Machine-readable फ़ॉर्मेट नहीं देंगे. CCTV फुटेज? कानून बदलकर छिपा दी. चुनाव की फोटो-वीडियो? अब 1 साल नहीं, 45 दिनों में ही मिटा देंगे. जिससे जवाब चाहिए था - वही सबूत मिटा रहा है. साफ़ दिख रहा है - मैच फिक्स है. और फिक्स किया गया चुनाव, लोकतंत्र के लिए ज़हर है."

Advertisement
Featured Video Of The Day
Iran Israel War: 'ईरान के खिलाफ अभियान छेड़ा तो...' Houthis ने लाल सागर में हमले की धमकी दी