एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने फैक्ट-चेकर मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी को 'बेहद चिंताजनक' और 'बेशर्म' करार दिया है. गिल्ड ने गिरफ्तारी की आज निंदा की और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की. जर्मनी में जी-7 की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ऑनलाइन और ऑफलाइन सामग्री की रक्षा करके एक लचीला लोकतंत्र सुनिश्चित करने के लिए की गई प्रतिबद्धताओं की ओर इशारा करते हुए गिल्ड ने कहा कि ज़ुबैर की रिहाई इस मुद्दे पर भारत की स्थिति का समर्थन करेगी. गौरतलब है कि कल जारी G7 के संयुक्त बयान में कहा गया है कि देश सार्वजनिक बहस, स्वतंत्र और बहुलवादी मीडिया और ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यमों से सूचनाओं के मुक्त प्रवाह के लिए प्रतिबद्ध हैं, साथ ही नागरिकों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए वैधता, पारदर्शिता, जिम्मेदारी और जवाबदेही को समान रूप से बढ़ावा देते हैं.
दिल्ली पुलिस की एफआईआर में कहा गया है कि जिस ट्वीट पर फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को कल रात गिरफ्तार किया गया था, उसमें ऐसे शब्द और चित्र थे जो लोगों के बीच "अत्यधिक उत्तेजक और घृणा की भावना को भड़काने के लिए पर्याप्त से अधिक" थे. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उन्हें धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए जानबूझकर काम करने के आरोप में सोमवार को गिरफ्तार किया.
अपने ट्वीट में फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने मशहूर फिल्म निर्माता ऋषिकेश मुखर्जी की 1983 की क्लासिक “किसी से ना कहना” की एक क्लिप साझा की थी.
तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा सहित कई व्यक्तियों ने निलंबित भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा के साथ मोहम्मद ज़ुबैर की तुलना की है. गौरतलब है कि नुपुर शर्मा की पैगंबर मुहम्मद पर दिए गए बयान की वजह से कई खाड़ी देशों ने अपना विरोध दर्ज करवाया था. मोहम्मद जुबैर और नुपुर शर्मा दोनों पर एक ही अपराध (भारतीय दंड संहिता की धारा 153 और 295) का आरोप लगाया गया है, लेकिन नुपुर शर्मा अभी तक आज़ाद है जबकि ज़ुबैर को गिरफ्तार कर लिया जाता है, उन्होंने कहा.
दरअसल, मोहम्मद जुबैर ने ही एक समाचार बहस के दौरान सबसे पहले नुपुर शर्मा की आपत्तिजनक टिप्पणियों को उजागर किया था.
गिल्ड ने अपने बयान में कहा,"यह बेहद परेशान करने वाला है क्योंकि जुबैर और उनकी वेबसाइट AltNews ने पिछले कुछ वर्षों में नकली समाचारों की पहचान करने और दुष्प्रचार अभियानों का मुकाबला करने के लिए बहुत ही उद्देश्यपूर्ण और तथ्यात्मक तरीके से कुछ अनुकरणीय कार्य किया है. दरअसल इन्होंने टीवी चैनल पर सत्तारूढ़ पार्टी के प्रवक्ता की विषाक्त टिप्पणियों को एक्सपोज किया था, बाद में पार्टी ने इस मुद्दे पर काफी सुधार किया था.”
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा," 'यह स्पष्ट है कि आल्ट न्यूज के सतर्क रुख का वे लोग विरोध कर रहे हैं जो समाज का ध्रुवीकरण करने व राष्ट्रवादी भावनाओं को भड़काने के लिए दुष्प्रचार का उपयोग एक हथियार के तौर पर करते हैं.''
इससे पहले डिजिटल समाचार मीडिया संगठनों के एक निकाय ने मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी की निंदा की थी और दिल्ली पुलिस से उनके खिलाफ मामला तुरंत वापस लेने को कहा था।
"एक लोकतंत्र में, जहां प्रत्येक व्यक्ति को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करने का अधिकार है, यह अनुचित है कि पत्रकारों के खिलाफ इस तरह के कड़े कानूनों का इस्तेमाल एक उपकरण के रूप में किया जा रहा है. पत्रकारों को राज्यों के संस्थानों के दुरुपयोग के खिलाफ प्रहरी की भूमिका निभाने की भूमिका दी गई है,” DIGIPUB ने अपने बयान में कहा.
बयान में कहा गया, "डिजीपब दिल्ली पुलिस से मामले को तुरंत वापस लेने का आग्रह करता है. लोकतंत्र के चौथे स्तंभ माने जाने वाले पत्रकारों के खिलाफ ऐसे कड़े कानूनों का इस्तेमाल बंद किया जाना चाहिए. हम जुबैर के साथ खड़े हैं."