दिल्ली की शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्डरिंग के मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत से आज प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने साढ़े पांच घंटे तक पूछताछ की. ईडी दफ्तर से बाहर निकलने के बाद कैलाश गहलोत ने कहा कि, ''मुझसे करीब साढ़े पांच घंटे तक पूछताछ हुई.''
ईडी का कैलाश गहलोत को यह दूसरा सम्मन था. पहला सम्मन विधानसभा सत्र के दौरान आया था. ईडी ने शराब नीति के ड्राफ्ट को तैयार करने में उनकी भूमिका को लेकर पूछताछ की. उन्होंने कहा कि, ईडी अगर बुलाएगी तो मैं आगे भी आऊंगा. गहलोत ने यह भी कहा कि, ''मैं मंत्रियों के समूह (GOM) का हिस्सा था. मुझे आतिशी के गोवा चुनाव प्रभारी होने के बारे में कोई जानकारी नहीं है.''
दिल्ली के नजफगढ़ विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के 49 वर्षीय विधायक कैलाश गहलोत अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार में परिवहन, गृह और कानून मंत्री हैं.
मध्य दिल्ली में स्थित ईडी कार्यालय में कैलाश गहलोत ने सुबह करीब साढ़े 11 बजे प्रवेश किया था. सूत्रों के मुताबिक गहलोत को मामले में पूछताछ के लिए उपस्थित होने और धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत अपना बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया था.
कैलाश गहलोत 2021-22 के लिए नई शराब नीति की तैयारी और कार्यान्वयन के लिए पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पूर्व शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन के साथ मंत्रियों के समूह का हिस्सा थे.
प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि आबकारी नीति के तहत 'साउथ ग्रुप' ने शराब कारोबार के लाइसेंस के एवज में आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी. ‘साउथ ग्रुप' में भारत राष्ट्र समिति (BRS) की नेता के कविता शामिल थीं.
ईडी ने अपनी चार्जशीट में यह भी आरोप लगाया है कि गहलोत के पास एक ही सिम नंबर था लेकिन उनकी आईएमईआई (अंतरराष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान) तीन बार बदली गई. ईडी ने अपने आरोप पत्र में गहलोत के नाम का उल्लेख किया है और मामले में पहले गिरफ्तार किए गए पार्टी संचार प्रभारी विजय नायर के संदर्भ में कहा है कि नायर गहलोत को आवंटित सरकारी बंगले में रहते थे. गहलोत दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के नजफगढ़ में रहते हैं.
किसी लोक सेवक द्वारा किसी अन्य को सरकारी आवास का उपयोग करने की अनुमति दिए जाने को आपराधिक विश्वासघात बताते हुए ईडी ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से इस मामले में कार्रवाई करने को कहा था.
यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति को तैयार करने और क्रियान्वित करने में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्डरिंग से जुड़ा है. दिल्ली सरकार की विवादित आबकारी नीति को बाद में रद्द कर दिया गया था.
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शराब नीति को बनाने और इसके कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश की. इसके बाद ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया.
इस मामले में आप नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को ईडी ने पहले गिरफ्तार किया था और वे न्यायिक हिरासत में हैं. मुख्यमंत्री केजरीवाल को ईडी ने मनी लॉन्डरिंग केस में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. अदालत ने गुरुवार को ईडी की उनकी हिरासत एक अप्रैल तक बढ़ा दी.
(इनपुट भाषा से भी)
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