धार्मिक नाम और प्रतीक वाले चुनाव चिह्नों का इस्तेमाल करने वाली पार्टियों के मामले में EC ने SC में दाखिल किया हलफनामा

ECI ने यह भी कहा कि पंजीकरण के लिए आवेदन करने वाली पार्टियों को संविधान और समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के सिद्धांतों का पालन करना होता है. सुप्रीम कोर्ट में आज ये मामला  सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.

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धार्मिक नाम और प्रतीक वाले चुनाव चिह्नों का इस्तेमाल करने वाली पार्टियों के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है.

धार्मिक नाम और प्रतीक वाले चुनाव चिह्नों का इस्तेमाल करने वाली राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग के मामले में निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. निर्वाचन आयोग ने धार्मिक नाम और प्रतीक चिन्ह प्रयोग करने वाले राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने की याचिका का विरोध किया है.

आयोग ने कहा कि कोई भी नियम धार्मिक संदर्भ या अर्थ वाले संघों को खुद को राजनीतिक दलों के रूप में पंजीकृत करने से नहीं रोकता है. हलफनामे के जरिए निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 2005 के बाद से किसी भी राजनीतिक दल के नाम में धार्मिक संदर्भ नहीं दिया गया है.

ECI ने यह भी कहा कि पंजीकरण के लिए आवेदन करने वाली पार्टियों को संविधान और समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के सिद्धांतों का पालन करना होता है. राजनीतिक पार्टियों के नाम और प्रतीक चिह्न में धार्मिक प्रयोग को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के वकील दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि याचिकाकर्ता ने कुछ खास दलों को ही क्यों निशाना बनाया है? उन्होंने शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल के नाम क्यों नहीं लिखे?

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जस्टिस एमआर शाह ने पूछा कि क्या आप इस मामले में अपनी बात दाखिल करना चाहते हैं? दवे ने कहा कि कोर्ट ने तो याचिकाकर्ता से राजनीतिक दलों की बात की थी, लेकिन वो तो आईयूएमएल का ही जिक्र कर रहे हैं. ये याचिकाकर्ता भी हेट स्पीच के आरोपी हैं. फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. याचिकाकर्ता की ओर से गौरव भाटिया बोले कि जिन बातों का जिक्र दवे कर रहे हैं, वो हमारी याचिका का मुद्दा ही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अब जनवरी में सुनवाई करेगा.

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