सबका साथ-सबका विकास की भारत की सोच के कारण इकॉनामिक कॉरिडोर सबको स्वीकार्य : अश्विनी वैष्णव

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने NDTV से कहा - डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के भारत के इनीशिएटिव को आज सारी दुनिया अपना रही है

विज्ञापन
Read Time: 26 mins
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

भारत, मिडिल ईस्ट और यूरोप के बीच शिपिंग और रेलवे के माध्यम से इकॉनामिक कॉरिडोर एक सकारात्मक इनिशिएटिव है. प्रधानमंत्री जी ने शुरू से इस प्रोजेक्ट को लेकर कहा कि हमें हर देश की जरूरतों के हिसाब से इसको डेवलप करना है. भारत की सोच में सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास है. इसलिए यह इस प्रोजेक्ट के लिए सबकी सहमति है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज NDTV से बातचीत में यह बात कही. 

भारत, मिडिल ईस्ट और यूरोप के बीच बहुत सारी समानताएं

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इकॉनामिक कॉरिडोर को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि, भारत, मिडिल ईस्ट और यूरोप के बीच बहुत सारी समानताएं हैं, शेयर्ड वेल्यूज हैं और इकानामिक्स इंटरेस्ट भी जुड़े हुए हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपना क्लियर विजन रखा कि भारत, मिडिल ईस्ट और यूरोप को जोड़ने वाला एक शिपिंग और रेलवे के माध्यम से एक ऐसा इकॉनामिक कॉरिडोर बने जिससे कि इन तीनों क्षेत्रों में नए अवसर सबके लिए पैदा हो सकें. भारत के वेस्ट कोस्ट पोर्ट से गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा और केरल के पोर्ट से सीधा शिपिंग कनेक्शन बने, मिडिल ईस्ट के पोर्ट से जो यूएई में,सउदी अरब के पोर्ट हैं, उनके साथ. उसके आगे मिडिल ईस्ट में रेलवे का कॉरिडोर बने जो यूएई, सउदी अरब को जोड़ता हुआ आगे जार्डन से होते हुए यूरोप से जुड़े. इस तरह भारत, मिडिल ईस्ट और यूरोप के बीच एक सीमलेस कनेक्टिविटी बनती है.

भारत-यूरोप ट्रेड में कई हजार किलोमीटर का डिस्टेंस बचेगा

उन्होंने कहा कि यह ट्रेड में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि आज यूरोप से जो रूट भारत के लिए फॉलो होता है, उसमें कई हजार किलोमीटर का डिस्टेंस बचेगा. इस कॉरिडोर में एक और आयाम है कम्युनिकेशन का. एक बार रेलवे लाइन आती है तो उसके साथ ही साथ आप कम्युनिकेशन का बड़ा कॉरिडोर बना सकते हैं. इसमें बहुत हाई बैंडविथ का ऑप्टिकल फाइबर केबल भी इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा है. फ्यूचर में इसके साथ-साथ गैस की पाइप लाइन भी बन सकती है. 

Advertisement

बीआरआई से बहुत अलग है इकॉनामिक कॉरिडोर

वैष्णव ने कहा कि, यह एक सकारात्मक इनिशिएटिव है. प्रधानमंत्री जी ने शुरू से इस प्रोजेक्ट के कंसीव करने में कहा कि हमें हर देश की जरूरतों के हिसाब से प्रोजेक्ट को डेवलप करना है. बीआरआई (चीन का वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट) में हमेशा एक टेक्नालॉजी इम्पोज करने का, टर्म्स एंड कंडीशंस इम्पोज करने का और एक बहुत बड़े कर्ज का भार, डेड का एक बहुत बड़ा बर्डन डालने का एक थॉट प्रोसेस होता था. उसके विपरीत भारत की जो सोच है, उसमें सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास है. इस सोच में सबको साथ लेकर सबकी सहमति से किस तरह सबको एलाइन करें, कॉमन अंडरस्टैंडिंग पर आएं.. उससे आगे बढ़ने की सोच है. इसलिए यह उससे बहुत डिफरेंट है और सबकी सहमति है इस प्रोजेक्ट के लिए. 

Advertisement

डीपीआई से देश के सबसे वंचित नागरिकों को इम्पावरमेंट मिला

डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) को लेकर अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आज सारी दुनिया भारत के इस इनीशिएटिव को एक्सेप्ट कर रही है, रिकग्नाईज कर रही है. जब प्रधानमंत्री जी ने 2015 में डिजिटल इंडिया लॉन्च किया था तब बड़े-बड़े भारत के विद्वान, डॉ चिदंबरम साहब जैसे विद्वान भी कहते थे कि भारत में डिजिटल की क्या जरूरत है. लेकिन देखिए इतने कम समय में जो हमारे देश के सबसे वंचित नागरिक थे उनको आज इम्पावरमेंट मिला है. उनको हाथ में टेक्नालॉजी के माध्यम से दुनिया भर की सर्विसेज मिल रही हैं. फाइनेंशियल वर्ल्ड के साथ उनका जुड़ाव हुआ है. आज सारी दुनिया इस सक्सेस को देख रही है. भारत की इस टेक्नालॉजी को दुनिया के तमाम देश एक्सेप्ट कर रहे हैं और इसको अपने-अपने देशों में इम्प्लीमेंट करना चाहते हैं. इसलिए दिल्ली डिक्लेरशन का एक महत्वपूर्ण भाग है वन फ्यूचर एलायंस फ्रेम वर्क क्रिएटिंग सिस्टम्स टू एडॉप्ट डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर इन डिफरेंट कंट्रीज. इसके माध्यम से एक इंस्टीट्यूशनल स्ट्रक्चर खड़ा हुआ है जिससे भारत में बनी हुई इस टेक्नालॉजी को दुनिया के विभिन्न देश एडॉप्ट कर सकें.   

Advertisement

समृद्ध देश भी भारत की टेक्नालॉजी को स्वीकार कर रहे

उन्होंने कहा कि, ऐसा नहीं है कि सिर्फ लो इनकम कंट्रीज ही इसको एडॉप्ट करना चाहती हैं, बड़े समृद्ध और टेक्नालॉजिकल एडवांस्ड देश भारत की इस टेक्नालॉजी को स्वीकार करते हैं और एडॉप्ट करना चाहते हैं. देखिए भारत में कितना बड़ा परिवर्तन आया है. पहले टेक्नालॉजी के लिए इधर-उधर भागना पड़ता था, आज हिंदुस्तान टेक्नालॉजी को डेवलप करके, प्रूफ करके दुनिया भर में एक्सपोर्ट करने की परिस्थिति में है. यह प्रधानमंत्री जी की बहुत बड़ी उपलब्धि है, जो जी20 में सबने स्वीकर की. 

Advertisement
Featured Video Of The Day
PM Modi को मिला Kuwait का सर्वोच्च सम्मान, जानिए दोनों देशों के बीच क्या अहम समझौते हुए?