"मुझे बनाने की कोशिश मत करो..." : CJI चंद्रचूड़ की बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को सख्त लहजे में सलाह

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने खुद को उनके विचारों से अलग कर लिया था और कहा था कि पैनल के सदस्यों ने अग्रवाल को राष्ट्रपति को पत्र लिखने के लिए अधिकृत नहीं किया था.

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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को आज चुनावी बॉन्ड पर सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ से कड़े शब्दों में बातचीत का सामना करना पड़ा. वरिष्ठ अधिवक्ता और वकीलों के संगठन के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले की राष्ट्रपति से स्वत: समीक्षा की मांग की थी, जिसमें चुनावी बॉन्ड योजना को खत्म कर दिया था और भारतीय स्टेट बैंक को इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक फंडिंग के सभी विवरण जारी करने का निर्देश दिया था.

आदिश अग्रवाल ने आज कोर्ट में चुनावी बॉन्ड मामले का उल्लेख किया, तो मुख्य न्यायाधीश ने उसका सख्ती से जवाब दिया. उन्होंने कहा, "एक वरिष्ठ वकील होने के अलावा, आप एससीबीए के अध्यक्ष हैं. आपने एक पत्र लिखा है, ये सभी प्रचार संबंधी चीजें हैं और हम कहेंगे इसमें मत पड़िये, मुझे और कुछ मत कहिए, ये अप्रिय होगा."

वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आदिश अग्रवाल के अनुरोध से खुद को अलग कर लिया और कहा कि हम इसका समर्थन नहीं करते.

दरअसल वरिष्ठ वकील आदिश अग्रवाल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर उनसे चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर संदर्भ लेने का आग्रह किया था. इसके बाद इस पर विवाद खड़ा हो गया.

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने खुद को उनके विचारों से अलग कर लिया था और कहा था कि पैनल के सदस्यों ने अग्रवाल को राष्ट्रपति को पत्र लिखने के लिए अधिकृत नहीं किया था.

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति के लिए ये स्पष्ट करना जरूरी हो गया था कि समिति के सदस्यों ने न तो अध्यक्ष अग्रवाल को ऐसा कोई पत्र लिखने के लिए अधिकृत किया है और न ही वे उसमें व्यक्त किए गए उनके विचारों से सहमत हैं.

एसोसिएशन द्वारा जारी एक प्रस्ताव पर सचिव रोहित पांडे ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति इस अधिनियम के साथ-साथ इसकी सामग्री को भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार को खत्म करने और कमजोर करने के प्रयास के रूप में देखती है और स्पष्ट रूप से इसकी निंदा करती है."

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प्रस्ताव में कहा गया है कि अग्रवाल का पत्र ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में उनके द्वारा लिखा गया प्रतीत होता है. हालांकि, ये देखा गया है कि उक्त पत्र पर उनके हस्ताक्षर के नीचे उन्होंने अन्य बातों के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में अपने पद का उल्लेख किया है.

वरिष्ठ वकील ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में उनसे शीर्ष अदालत के फैसले का राष्ट्रपति संदर्भ लेने और मामले की दोबारा सुनवाई होने तक इसे लागू नहीं करने का आग्रह किया था.

उन्होंने लिखा, "विभिन्न राजनीतिक दलों को योगदान देने वाले कॉरपोरेट्स के नामों का खुलासा करने से कॉरपोरेट्स इसको लेकर संवेदनशील हो जाएंगे." उन्होंने कहा कि यदि फैसले को पूर्वव्यापी रूप से लागू किया जाता है और सभी जानकारी जारी की जाती है, तो अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में राष्ट्र की जो प्रतिष्ठा है, वो नष्ट हो जाएगी.

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