क्रिमिनल लॉ को बदलने की जल्दबाजी न करें : ममता बनर्जी ने गृह मंत्री अमित शाह को लिखी चिट्ठी

नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम हैं. इनके संसद के शीतकालीन सत्र में पारित होने की उम्मीद है.

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कोलकाता:

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से नए आपराधिक-दंड कानूनों (Criminal Laws) पर जल्दबाजी नहीं करने की अपील की. उन्होंने हितधारकों के बीच आम सहमति बनाने का आग्रह किया. अमित शाह को लिखी चिट्ठी में ममता बनर्जी ने यह भी दावा किया कि इसमें आमूल-चूल परिवर्तन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मौजूदा आपराधिक-दंड कानूनों का राजनीति पर प्रभाव पड़ेगा. अमित शाह बुधवार को बंगाल दौरे पर थे.

केंद्र सरकार औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code), आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 (The Code of Criminal Procedure, 1973) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 (The Indian Evidence Act, 1872) को रिप्लेस करने के लिए तीन विधेयक लेकर आई है. नए कानून भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ( Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Bharatiya Sakshya Adhiniyam) हैं. इनके संसद के शीतकालीन सत्र में पारित होने की उम्मीद है.

ममता बनर्जी ने कहा, "मेरा दृढ़ विश्वास है कि ये बहुत महत्वपूर्ण कानून है, जो हमारे दंड-आपराधिक न्यायशास्त्र का आधार बनते हैं. ऐसे में मौजूदा आपराधिक-दंड संबंधी कानूनों में प्रस्तावित बदलाव और उनके स्थान पर नए कानून लाने से हमारी राजनीति पर दूरगामी दीर्घकालिक प्रभाव पड़ना तय है."

बंगाल की सीएम ने जोर देकर कहा, "सुझाए गए बदलाव जनता को भी प्रभावित करेंगे. मुझे उम्मीद है कि विषय की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए आप प्रस्तावित विधेयकों पर सभी हितधारकों के बीच आम सहमति बनाने का प्रयास करेंगे, न कि उन्हें पारित करने में जल्दबाजी करेंगे." ममता ने आरोप लगाया कि इन कानून का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ हो सकता है.

संसद सत्र की की शुरुआत से पहले ममता बनर्जी की ये चिट्ठी इस नजरिए से भी अहम है, क्योंकि इससे पहले भी वह सीमा सुरक्षा बल (BSF) से जुड़े कानून बदलाव को लेकर भी केंद्र से असहमति जाहिर कर चुकी हैं.

बता दें कि INDIA गठबंधन ने केंद्र सरकार के प्रस्तावित कानूनों का विरोध किया है. विपक्षी गठबंधन ने पहले भी इस पर कड़े बयान दिए हैं. अगले साल होने वाले आम चुनाव को देखते हुए विपक्षी दलों ने सुझाव दिया कि अगले साल नई सरकार आने पर बिलों पर दोबारा विचार किया जाए. विपक्षी सदस्यों ने संसदीय स्थायी समिति में आपराधिक विधेयकों पर असहमति के नोट भी दिए हैं.
 

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