भारत दुनिया के उन देशों में शुमार है, जो कि दूसरे देशों से बड़ी मात्रा में सैन्य साजो सामान और हथियार खरीदता है. लेकिन पिछले काफी समय से भारत स्वेदश में निर्मित हथियारों के लिए बड़े कदम उठा रहा है. इस बीच महाराष्ट्र के देवलाली में ‘स्कूल ऑफ आर्टिलरी' में सेना द्वारा हथियारों के क्षमता प्रदर्शन और प्रशिक्षण के लिए आयोजित वार्षिक कार्यक्रम ‘एक्सरसाइज तोपची' का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य आकर्षण स्वदेश निर्मित हथियार प्रणालियां थीं. यह कार्यक्रम लेफ्टिनेंट जनरल एस हरिमोहन अय्यर, एवीएसएम, कमांडेंट स्कूल ऑफ आर्टिलरी और कर्नल कमांडेंट रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी के नेतृत्व में हुआ.
लेफ्टिनेंट जनरल अय्यर ने कहा, ‘‘यह आयोजन भारतीय तोपखाने की क्षमता को दर्शाता है. इस वर्ष हमने ‘आत्मनिर्भरता' पर जोर दिया है. आज प्रदर्शित सभी हथियार प्रणाली और अन्य साजो-सामान भारतीय उद्योग की क्षमता को प्रदर्शित करते हैं.'' उन्होंने कहा कि के-9 वज्र, धनुष प्रणाली या एम 777 तोप प्रणाली समेत हथियार और अन्य प्रणालियों सभी को भारत में ही एकीकृत (असेंबल) किया गया है. सेना के एक अधिकारी ने कहा कि स्वाथी रडार सिस्टम, रिमोट संचालित वाहन भारत में बनाए गए हैं. लेफ्टिनेंट जनरल अय्यर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि हम उत्साह के साथ आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं और भारतीय सेना तथा आर्टिलरी रेजिमेंट किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है.''
इसी के साथ उन्होंने कहा कि धनुष तोप प्रणाली चार महीने पहले आई थी और साल के अंत में धनुष की पांच रेजिमेंट को भारतीय तोपखाने में शामिल किया जाएगा. ‘‘एक्सरसाइज तोपची'' के इस संस्करण में मोर्टार, रॉकेट, ड्रोन और विमानन संपत्ति शामिल करने के लिए मारक क्षमता और निगरानी उपकरणों का प्रदर्शन किया गया. ‘आत्मनिर्भर भारत' के अनुरूप, अभ्यास का मुख्य आकर्षण के-9 वज्र, धनुष, इंडियन फील्ड गन (आईएफजी)/लाइट फील्ड गन (एलएफजी) प्रणाली और पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लांचर जैसे स्वदेशी रूप से निर्मित सैन्य साजो-सामान का प्रदर्शन था.
ये भी पढ़ें : गुजरात के कच्छ में महसूस किए भकूंप के झटके, कोई हताहत नहीं
ये भी पढ़ें : BBC डॉक्यूमेंट्री पर कथित पाबंदी लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती