कनाडा कई अनुरोधों के बावजूद लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से जुड़े लोगों को प्रत्यर्पित नहीं कर रहा : भारत

विदेश मंत्रालय ने कहा कि, हम कनाडा से बिश्नोई गिरोह के सदस्यों को प्रत्यर्पित करने की मांग कर रहे हैं. 26 प्रत्यर्पण अनुरोध एक दशक से लंबित हैं.

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भारत ने कनाडा के आरोप खारिज कर दिए हैं और वहां से अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया है.
नई दिल्ली:

विदेश मंत्रालय ने आज कहा कि, सुरक्षा कारणों से कनाडा से राजनयिकों को वापस बुलाया गया. उन्हें बुलाने के बाद कनाडा ने उनको निष्कासित किया. कनाडा को लेकर विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है, जस्टिन ट्रूडो के सारे आरोप खारिज करते हैं. 

भारत और कनाडा के बीच चल रहे कूटनीतिक तनाव के बीच भारत ने संगठित अपराध से जुड़े अपराधियों से निपटने के कनाडा के तरीके पर चिंता जताई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को आरोप लगाया कि कनाडा भारत के कुख्यात आपराधिक संगठन लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से जुड़े लोगों को प्रत्यर्पित करने का इच्छुक नहीं है. वे लोग कनाडा में अपराधों में शामिल हैं.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि, हम कनाडा से बिश्नोई गिरोह के सदस्यों को प्रत्यर्पित करने की मांग कर रहे हैं. 26 प्रत्यर्पण अनुरोध एक दशक से लंबित हैं. जायसवाल ने कहा, "हमें यह बहुत अजीब लगता है कि जिन लोगों को हमने वापस भेजने के लिए कहा था, कनाडा पुलिस अब दावा कर रही है कि वे लोग कनाडा में अपराध कर रहे हैं, जिसके लिए भारत को दोषी ठहराया जा रहा है."

सितंबर 2023 से भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध खराब चल रहे हैं. इसकी मुख्य वजह कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सार्वजनिक रूप से भारत पर हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया, जिसे भारत ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया. जायसवाल ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान भारत की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि कनाडा के कई आरोपों के बावजूद, निज्जर की हत्या से भारत सरकार को जोड़ने वाला "कोई सबूत नहीं" है.

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जायसवाल ने कहा, "हमने विभिन्न प्रेस विज्ञप्तियों के जरिए अपनी स्थिति बहुत स्पष्ट कर दी है. सितंबर 2023 से कोई सबूत नहीं दिया गया है, और कल रात ही हमने अपना रुख दोहराते हुए एक और प्रेस विज्ञप्ति जारी की." 

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कई भारतीय अधिकारियों को कनाडा ने किया निष्कासित

भारत ने आरोपों को खारिज करने के अलावा हाल ही में सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए कनाडा से अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया. इसके बाद कनाडा ने कई भारतीय अधिकारियों को निष्कासित कर दिया, जिससे रिश्ते और भी तनावपूर्ण हो गए हैं.

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जायसवाल ने स्पष्ट किया, "हम कनाडा के साथ अपने मजबूत व्यापारिक संबंधों और लोगों के बीच आपसी संबंधों को महत्व देते हैं, खास तौर पर कनाडा में बड़ी संख्या में रह रहे भारतीय छात्रों को देखते हुए. लेकिन वर्तमान स्थिति पूरी तरह से ट्रूडो सरकार के कारण पैदा हुई है." उन्होंने कहा कि इन संबंधों से कनाडा को लाभ होता है और ओटावा द्वारा उठाए गए भड़काऊ कदमों के बावजूद भारत ने संयम दिखाया है.

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पूर्व रॉ अधिकारी अब भारत सरकार का कर्मचारी नहीं

इसी संदर्भ में यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (DOJ) ने आज एक पूर्व रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) अधिकारी जिसे 'CC1' कहा गया है, को एक अन्य खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या की असफल साजिश के लिए अपने अभियोग में शामिल किया. यूनाइटेड स्टेट्स ने पुष्टि की कि यह व्यक्ति "अब भारत सरकार की सेवा में नहीं है." जायसवाल ने आज अमेरिका के दावे पर पुष्टि की कि वह व्यक्ति अब भारत सरकार का कर्मचारी नहीं है.

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पुष्टि की कि भारत और अमेरिका दोनों साजिश की अलग-अलग लेकिन समन्वित जांच कर रहे हैं. मिलर ने कहा कि भारतीय जांच समिति और अमेरिकी अधिकारियों के बीच एक "प्रोडक्टिव मीटिंग" हुई है.

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