केंद्र सरकार की तरफ से भारतीयों के डिजिटल अधिकारों को मजबूत करने को लेकर संसद में एक डेटा बिल लाया गया है. डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2023 को लेकर विपक्षी सांसदों ने मांग किया कि इसे संसदीय पैनल के पास भेजा जाए. सरकार ने विपक्ष की मांग को ठुकरा दिया. केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विधेयक पेश किया और उन दावों को खारिज कर दिया कि यह एक धन विधेयक है, जिसे उच्च सदन राज्यसभा के निरीक्षण को दरकिनार करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह एक "सामान्य विधेयक" है.
इधर डेटा बिल को लेकर सरकारी सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि इसे मनी बिल बनाने का सवाल ही नहीं है. स्टैंडिग कमेटी को केवल संसद रिफर कर सकती है लिहाज़ा विपक्ष का यह आरोप ग़लत कि सरकार ने इसे कमेटी को भेजा. पुत्तास्वामी जजमेंट को लेकर विपक्ष ने जो एतराज उठाए उसे लेकर स्पष्ट किया कि इस जजमेंट में तीन टेस्ट थे Legality, legitimate, propotional तीनों ही टेस्ट इस बिल में पूरा होते हैं.प्राइवेट सेक्टर के लिए अलग व्यवस्था नहीं है.
अधिकारी ने कहा कि 2019 के बिल में इस बारे में कमजोरी थी जिसे दूर किया गया. सरकार और निजी सेक्टर दोनों पर समान रूप से लागू है.वापस जेपीसी को भेजने की बात की विपक्ष ने लेकिन इस बिल पर काफी चर्चाएँ हो चुकी हैं.हम नागरिकों के अधिकार के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते। उन्हें प्रोटेक्शन देना चाहिए.आईटी में 55 लाख लोग लगे हैं. इस उद्योग की ज़रूरत का भी ध्यान रखना है. अनुपालन हो लेकिन गलती पर ग़ैरज़रूरी सजा न हो. बिल के तहत व्यवस्था को डिजिटल बाय डिज़ाइन रखा गया है.
जैसे फेसबुक के पास से डेटा लीक हुआ तो ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं. अगर सुनवाई वहां न हो तो डिजीटल बोर्ड में ऑनलाइन शिकायत करें. अपील की व्यवस्था है TDSAT को अधिकार दिया है. विपक्ष का यह आरोप ग़लत कि सुप्रीम कोर्ट का अधिकार लिया गया है. इस क़ानून के तहत बनने वाला बोर्ड पूरी तरह से स्वतंत्र होगा.
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