प्रारम्भिक चरण में ड्रोन के माध्यम से धराली क्षेत्र की निगरानी एवं सर्चिंग कार्यवाही की गई.
- 5 अगस्त को उत्तरकाशी के धराली बाजार में खीर गंगा क्षेत्र की आई आपदा से व्यापक तबाही हुई है.
- एसडीआरएफ की टीम ने ड्रोन से खीर गंगा और धराली क्षेत्र की निगरानी कर किसी झील के निर्माण की पुष्टि नहीं की है.
- टीम ने लगभग 3450 मीटर ऊंचाई तक पैदल मार्ग से पहुंचकर ड्रोन के माध्यम से क्षेत्र का निरीक्षण किया.
घराली गांव में 5 अगस्त को एक सैलाब आया था. यह सैलाब धराली गांव के ऊपर लगभग 4 हजार मीटर श्रीकंठ पर्वत के बेस कैंप से आया था. एसडीआरएफ की सर्च टीम अब उस जगह पहुंची है. टीम ने पाया की जहां श्रीकंठ पर्वत का बेस शुरू होता था उसी जगर पर लेफ्ट ,सेंटर और राइट से खीर गंगा में पानी आया. इस जगह से जुड़ा एक वीडियो भी सामने आया है श्रीकंठ पर्वत का बेस, जहां से ग्लेशियर शुरू होते हैं. इसके केंद्र के ठीक सामने लैंडस्लाइड हुआ है. वहां से पानी की जलधारा भी निकल रही है.
मोरेन में भी लैंडस्लाइड दिख रहा है. पानी की जलधारा आ रही है. इसके अलावा लेफ्ट साइड में भी एक छोटा सा लैंड साइड हुआ. वहां से भी पानी की धारा आ रही है. श्रीकंठ पर्वत से तीनों जलधारा नीचे की तरफ इकट्ठी होती हुई जा रही है. यह माना जा रहा है कि इन तीनों जलधाराओं की वजह से खीर गंगा में सैलाब आया था.
बता दें 5 अगस्त को खीर गंगा क्षेत्र में आए भीषण जलप्रलय से उत्तरकाशी के धराली बाजार में व्यापक तबाही हुई है. खीर गंगा नदी में आई भीषण बाढ़ से धराली गांव में दर्जनों होटल, रेस्तरां, होमस्टे तथा मकान तबाह हो गए हैं. घटना के बाद एसडीआरएफ मुख्यालय जौलीग्रांट से राहत एवं बचाव कार्य के लिए टीमें तत्काल घटनास्थल पर पहुंचीं.
आपदा में 69 लोग हुए लापता
- इस आपदा में कुल 69 लोग लापता हैं, जिनमें 9 सैन्यकर्मी, 25 नेपाली नागरिक, बिहार के 13, उत्तर प्रदेश के 6, धराली के 8, उत्तरकाशी के निकटवर्ती क्षेत्रों के 5, टिहरी के 2 और राजस्थान का 1 व्यक्ति शामिल है.
- आपदा के कुछ घंटों बाद धराली के एक स्थानीय व्यक्ति का शव बरामद किया गया था.
- धराली में 53 मकान पूरी तरह से तबाह हो गए.
झील का निर्माण नहीं पाया गया
07 अगस्त को पुलिस महानिरीक्षक, एसडीआरएफ के आदेशानुसार मुख्य आरक्षी राजेन्द्र नाथ के नेतृत्व में कांस्टेबल जसवेन्द्र सिंह, कांस्टेबल सोहन सिंह, कांस्टेबल गोपाल सिंह की टीम ने धराली गांव से पैदल मार्ग से ऊपर जाकर ड्रोन के इस्तेमाल से ऊपर के हालात का जायजा लिया. द्वारा खीर गंगा के दाहिने ओर लगभग 3450 मीटर ऊंचाई तक पहुंचकर ड्रोन संचालन किया. खीर गंगा की पूरी निगरानी की गई, जिसमें किसी भी प्रकार की झील का निर्माण नहीं पाया गया. तैयार वीडियो और फोटोग्राफी तत्काल उच्चाधिकारियों को उपलब्ध कराई गई.
इसी क्रम में एएसआई पंकज घिल्लियाल, मुख्य आरक्षी राजेन्द्र नाथ, मुख्य आरक्षी 1670 प्रदीप पंवार, कांस्टेबल 1891 सोहन सिंह तथा एफएम प्रवीण चौहान द्वारा श्रीकंठ पर्वत के नीचे लगभग 3900 मीटर ऊंचाई पर रैकी की गई. टीम ने ड्रोन से खीर गंगा एवं धराली क्षेत्र के ऊपर बने नालों की वीडियोग्राफी/फोटोग्राफी की और संकलित सामग्री को वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान तथा यू-कॉस्ट के वैज्ञानिकों को प्रेषित किया.
14-15 अगस्त को मुख्य आरक्षी राजेन्द्र नाथ के नेतृत्व में श्रीकंठ पर्वत बेस एवं खीर गंगा उद्गम स्थल का भौतिक निरीक्षण किया गया. टीम ने लगभग 4812 मीटर ऊंचाई तक पहुंचकर घना कोहरा, तेज हवाएं और वर्षा के बीच भी ड्रोन (Phantom-4 एवं DJI Mini-2) के माध्यम से ग्लेशियर बेस और उद्गम स्थल की वीडियोग्राफी/फोटोग्राफी की. एसडीआरएफ की संयुक्त टीम की कठिन परिस्थितियों में की गई उच्च स्तरीय रैकी और भौतिक निरीक्षण द्वारा आपदा की वास्तविक परिस्थितियों का वैज्ञानिक विश्लेषण सम्भव हुआ.