'नाग देवता ने धराली की अधिकतर महिलाओं को सुरक्षित बचा लिया', मुखबा के पुजारी की आंखोंदेखी

Dharali Accident: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में आई आपदा ने इलाके में भारी तबाही मचाई. यहां पहाड़ों से इतनी तेजी में मलबे का सैलाब आया कि कुछ ही मिनटों बाद मकान, दुकान, गाड़ी सहित सारी चीजें तैरती नजर आईं. लेकिन स्थानीय पुजारी ने बताया कि मेले के कारण ज्यादातर लोग मंदिर में थे. ऐसे में उनका कहना है कि इस हादसे में अधिकतर स्थानीय लोग सुरक्षित बच गए.

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मुखबा के पुजारी का दावा है कि धराली के अधिकतर स्थानीय लोग सुरक्षित है.
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  • मुखबा और धराली दो पड़ोसी गांव हैं, जो श्रीखंड पर्वत के नीचे भागीरथी नदी के बीच बसे हुए हैं.
  • मुखबा के पुजारी ने बताया कि उस दिन शार्दुदा मेला के कारण अधिकतर लोग मंदिरों में थे, जिससे उनकी जान बच गई थी.
  • मुखबा गांव के लोगों ने सैलाब बढ़ते देख धराली के लोगों को सीटी बजाकर समय पर अलर्ट किया था, जिससे बचाव हुआ.
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बीच में भागीरथी. आमने-सामने दो गांव. एक मुखबा और एक धराली. दो पड़ोसी. जैसे दो दोस्त. सुख-दुख में हमेशा साथ. धराली में जब सैलाब आया, तो मुखबा जोर से चीख पड़ा- बचो दोस्त बचो. मुखबा से सीटियां बजाई गईं. श्रीखंड पर्वत के नीचे बसे धराली की तरफ खीरगंगा के रास्ते सैलाब बढ़ रहा था और धड़कनें मुखबा की बढ़ी हुई थीं. पड़ोसी धराली को बचाने के लिए सीटियों के शोर से पूरी भागीरथी घाटी गूंज रही थी.  मुखबा गांव के मंदिर के पुजारी अशोक सेमवाल ने NDTV से खास बातचीत में अपनी आंखोंदेखी बयां की है. उनके मुताबिक इस आपदा में धराली गांव के अधिकतर लोग सुरक्षित बच गए हैं. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि जिस वक्त आपदा आई, धराली और मुखबा में नाग देवता की पूजा चल रही थी. धराली के पुराने सोमेश्वर मंदिर में नाग देवता को गांव की महिलाएं दूध चढ़ा रही थीं. पढ़िए उनकी आंखोंदेखी...

शुक्र समझिए उस दिन... 

श्रीखंड पर्वत के सामने मुखबा और धराली गांव हैं. बीच में भागीरथी नदी बहती है. धराली गांव थोड़ा गहरे में है. अशोक सेमवाल बताते हैं, 'शुक्र समझिए उस दिन दोनों गांवों में शार्दुदा मेला लगा था. इस मेले में नाग देवता को सोमेश्वर मंदिर में दूध चढ़ाया जाता है. गांव के लोग गोल घेरे में खड़े होकर नाग देवता को दूध चढ़ाते हैं.'

सेमवाल बताते हैं कि यह करीब दोपहर डेढ़ बजे की बात होगी. धराली और मुखबा गांव की सारी महिलाएं और पुरुष मेला मना रहे थे. धराली की लोग धराली के पुराने मंदिर में थे. यह मंदिर मुख्य बाजार से थोड़ा ऊपर है. वहीं पड़ोसी गांव मुखबा के लोग अपने गांव के मंदिर में थे.

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अगर शार्दुदा मेला न होता तो न जाने क्या होता!

अगर शार्दुदा मेला न होता तो न जाने क्या हो जाता. मंगलवार होने के कारण सारे लोग नीचे कल्प केदार मंदिर में रहते. मंगलवार को महिलाएं कल्प केदार मंदिर में कीर्तन के लिए जाती हैं. वहीं कल्प केदार मंदिर जो इस आपदा में पूरी तरह से मलबे में समा गया है.

मेले के कारण सैलाब के वक्त अधिकतर लोग गांव में नहीं थे

मुखबा मंदिर में पुजारी अशोक सेमवाल बताते हैं कि शार्दुदा मेले ने गांव के कई लोगों की जान बचा दी. अगर शार्दुदा मेला नहीं, होता तो लोग या तो बाजार में होते या फिर नीचे कल्प केदार मेले में होते. वह कहते हैं कि इस त्योहार ने मुखबा वालों की जान भी बचा दी. मुखबा के लोगों का भी मुख्य बाजार धराली ही है. सैलाब के वक्त मेले के कारण अधिकतर लोग गांव में नहीं थे.

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आखिर उस वक्त हुआ क्या था.

सेमवाल बताते हैं कि जब सैलाब आया तो तो कुछ लोग मार्केट में थे. मुखबा गांव के लोगों ने सैलाब को बढ़ते हुए देख लिया था. हमने धराली के लोगों को बचाने के लिए सीटियां बजाईं. धराली वालों को कुछ पता नहीं था कि क्या होने वाला है. 2013 की आपदा में भी मुखबा वालों ने धराली वालों को इसी तरह अलर्ट किया था. सेमवाल के मुताबिक जो कुछ लोगो मार्केट में थे, वे सीटियां बजने के बाद भागे. कुछ लोग हर्षिल की तरफ भागे, तो कोई गंगोत्री की तरफ. जो लोग होटल के अंदर थे, उन्हें निकलने का कोई मौका नहीं मिला. सेमवाल बताते हैं कि मुखबा और धराली पड़ोसी गांव हैं. हमेशा सुख दुख में साथ रहते हैं. सारे सुख-दुख में साथ रहते हैं. इस आपदा में नागदेवा की ज धराली के ज्यादातर लोग सुरक्षित बच गए.

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लाइट नहीं होने से मोबाइल बंद, लोगों का संपर्क टूटा

मुख्य पुजारी ने यह भी कहा कि उत्तरकाशी से गंगोत्री में भी कुछ लोगों के फंसे होने की आशंका है. लेकिन इलाके में बिजली नहीं है. ऐसे में लोगों का मोबाइल तक काम नहीं कर रहा. मोबाइल बंद होने से धराली, गंगोत्री सहित आस-पास के इलाके मेंरहने वाले या वहां आए दूसरे राज्यों के लोगों से उनके परिजन संपर्क नहीं कर पा रहे हैं.

लेकिन गंगोत्री मंदिर के पुजारी अशोक के का कहना है कि लोग सुरक्षित है. जब इलाके में लाइट आएगी तो लोग अपना फोन चार्ज कर पाएंगे फिर लोगों अपने परिजनों से बात कर पाएंगे.

नेपाल, बिहार के कुछ मजदूर हादसे में हुए होंगे हताहत

गंगोत्री और मुखबा मंदिर के मुख्य पुजारी ने आगे कहा कि लेकिन जो लोग होटलों में थे, मजदूर थे, उन लोगों के ज्यादा हताहत होने की आशंका है. धराली के ज्यादा से ज्यादा 5-7 लोकल लोगों के हताहत लोगों की आशंका है. उन्होंने यह भी बताया कि धराली में नेपाल, बिहार के मजदूर के हताहत होने की आशंका है. क्योंकि स्थानीय लोग तो मंदिर में थे, कुछ लोग वहां काम कर रहे थे.

2013 में भी मुखबा के लोगों ने धराली वालों को किया था सचेत

मुख्य पुजारी अशोक ने आगे बताया कि धराली गांव के ठीक सामने मुखबा गांव में थे. हम लोगों ने सारा नजारा अपनी आंखों से देखा. इससे पहले 2013 में भी ऐसी ही बाढ़ आई थी. तब भी मुखबा गांव के लोगों ने सीटी बजाई और धराली के लोग इधर-उधर भागे. इस बार भी यही हुआ.

सीटी सुनकर धराली के लोग इधर-उधर भागे

हम लोगों ने नदी में मलबे के तेज बहाव को देखकर सीटी बजानी शुरू की. मुखबा गांव के सभी लोगों ने सीटी बजानी शुरू की. जिसे सुनकर धराली में उस समय मौजूद लोग इधर-उधर भागे. मालूम हो कि इस हादसे से जुड़ा जो खौफनाक वीडियो सामने आया है उसमें भी सीटी की आवाज गूंज रही है. सीटी की यह आवाज मुखबा के गांव वालों की है, जो धराली के लोगों को भागने के लिए बजा रहे थे.

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