लोकतंत्र के तीनों स्तंभ समान... CJI बीआर गवई का प्रोटोकॉल को लेकर बड़ा बयान

सीजेआई बीआर गवई ने बताया कि ​​महाराष्ट्र का कोई व्यक्ति भारत का मुख्य न्यायाधीश बनता है और पहली बार महाराष्ट्र का दौरा करता है तो अगर महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक या मुंबई पुलिस आयुक्त को उपस्थित होना उचित नहीं लगता है तो उन्हें इस पर विचार करने की जरूरत है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
सीजेआई बीआर गवई शपथ लेने के बाद पहली बार महाराष्‍ट्र के दौरे पर आए थे.
मुुंबई:

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने न्‍यायिक अधिकारों को लेकर जारी बहस के बीच आज अपने गृह राज्‍य महाराष्‍ट्र की यात्रा के दौरान प्रोटोकॉल संबंधी खामियों की ओर इशारा किया. साथ ही कार्यपालिका को लेकर की गई एक टिप्‍पणी में उन्‍होंने कहा कि यदि जज प्रोटोकॉल तोड़ते हैं तो अनुच्छेद 142 के बारे में चर्चा शुरू हो जाती है, जो सर्वोच्च न्यायालय को विशेष शक्तियां प्रदान करता है. पिछले महीने देश के शीर्ष न्यायिक पद पर आसीन होने वाले और इस पद पर पदोन्नत होने वाले दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश ने मुंबई में एक सम्मान समारोह में भाग लिया और फिर बाबासाहेब अंबेडकर के स्मारक चैत्य भूमि का दौरा किया. 

महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में अपने संबोधन के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने तीन प्रमुख अधिकारियों महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस आयुक्त की अनुपस्थिति की ओर इशारा किया. 

लोकतंत्र के तीनों स्‍तंभ समान हैं: सीजेआई गवई

मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा, "लोकतंत्र के तीन स्तंभ न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका समान हैं. प्रत्येक संवैधानिक संस्था को अन्य संस्थाओं के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए. जब ​​महाराष्ट्र का कोई व्यक्ति भारत का मुख्य न्यायाधीश बनता है और पहली बार महाराष्ट्र का दौरा करता है तो अगर महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक या मुंबई पुलिस आयुक्त को उपस्थित होना उचित नहीं लगता है तो उन्हें इस पर विचार करने की जरूरत है. प्रोटोकॉल कोई नई चीज नहीं है, यह एक संवैधानिक संस्था द्वारा दूसरे को दिए जाने वाले सम्मान का सवाल है." 

उन्‍होंने कहा, "जब किसी संवैधानिक संस्था का प्रमुख पहली बार राज्य का दौरा करता है तो उसके साथ जिस तरह का व्यवहार किया जाता है, उस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए. अगर हम में से कोई होता तो अनुच्छेद 142 के बारे में चर्चा होती. ये छोटी-छोटी बातें लग सकती हैं, लेकिन जनता को इनके बारे में जागरूक किया जाना चाहिए." 

चैत्‍य भूमि पर नजर आए तीनों सरकारी अधिकारी

जब सीजेआई चैत्य भूमि की ओर बढ़े तो महाराष्ट्र की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक, पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला और मुंबई पुलिस आयुक्त देवेन भारती वहां मौजूद थे. साफ जाहिर है कि उन्‍हें सीजेआई की टिप्‍पणी के बारे में पता चला होगा.  

चैत्य भूमि पर जब मुख्य न्यायाधीश से प्रोटोकॉल चूक पर उनकी टिप्पणी के बारे में पूछा गया तो उन्‍होंने जवाब दिया कि  वे प्रोटोकॉल को लेकर के उग्र नहीं हैं और उन्‍होंने सिर्फ वो कहा जो हुआ था. 

Advertisement

सीजेआई की टिप्‍पणी विशेष रूप से अनुच्छेद 142 का उनका संदर्भ काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तमिलनाडु मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद कुछ हलकों में न्यायिक अतिक्रमण के आरोपों की पृष्ठभूमि में आया है, जिसने दूसरी बार विधायिका द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए प्रभावी रूप से समय सीमा निर्धारित की है. 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सर्वोच्च न्यायालय को पत्र लिखकर पूछा है कि क्या राज्यपालों पर समय सीमा लगाई जा सकती है. राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा, "क्या राज्यपाल भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत उनके समक्ष प्रस्तुत विधेयक के मामले में अपने पास उपलब्ध सभी विकल्पों का उपयोग करते हुए मंत्रिपरिषद द्वारा दी गई सहायता और सलाह से बाध्य हैं?"

Advertisement
Featured Video Of The Day
Donald Trump का 'Double Game'? PM Modi को बताया ‘दोस्त’, उधर Russia Oil पर 100% Tariff की धमकी!
Topics mentioned in this article