दिल्ली दंगा मामला: SC में शरजील इमाम की जमानत याचिका पर दलील, कोर्ट ने भाषणों पर किए सख्त सवाल

जस्टिस अरविंद कुमार ने शरजील के वकील से पूछा कि क्या हम आपकी यह दलील स्वीकार कर लें कि ये भाषण आतंकवादी कृत्य नहीं हैं? दवे ने कहा कि ये भाषण मौजूदा FIR में ‘आपराधिक साजिश’ साबित नहीं कर सकते, क्योंकि भाषण के अलावा कोई कार्रवाई नहीं दिखाई गई.

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  • दिल्ली दंगा मामले में जेल में बंद शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई
  • आरोपी शरजील इमाम के भाषणों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए कि क्या ये भाषण आतंकवादी कृत्य में आते हैं
  • शरजील इमाम के वकील ने कहा कि भाषणों के लिए पहले से FIR दर्ज है और गिरफ्तारी हो चुकी है, इसलिए नया मामला गलत है
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नई दिल्ली:

2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में जेल में बंद छात्र नेताओं शरजील इमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और शिफा-उर-रहमान की जमानत याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. ये सभी आरोपी यूएपीए के कठोर प्रावधानों के तहत गिरफ्तार हैं. जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने बचाव पक्ष की दलीलों को सुना और शरजील इमाम के भाषणों पर सख़्त सवाल किए.

⁠शरजील इमाम के भाषणों पर सुप्रीम कोर्ट के कड़े सवाल-

  • क्या हम मान लें कि आपके भाषण ‘उकसावे' या UAPA के तहत ‘आतंकी कृत्य' की श्रेणी में नहीं आते?
  • ⁠क्या यह कहा जा सकता है कि ये भाषण उकसावे या आतंकवादी कृत्य में नहीं आते जैसा कि UAPA, 1967 में परिभाषित है?

वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने शरजील इमाम की ओर से दलीलें देते हुए कहा कि मुझे आतंकवादी कहा जा रहा है. मैं इस देश का जन्म से नागरिक हूं. किसी अपराध में दोषी नहीं ठहराया गया, लेकिन मुझे ‘बुद्धिजीवी आतंकी ' कहा जा रहा है. इससे मेरी बेगुनाही की धारणा को चोट पहुंचती है.

शरजील इमाम के वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि जिन भाषणों की बात हो रही है, उन्हीं पर पहले से FIR 22/2020 दर्ज है और इमाम की गिरफ्तारी भी हो चुकी है. अगर मैं उन भाषणों के लिए पहले ही गिरफ्तार हो चुका हूं, तो फिर इन्हीं भाषणों के आधार पर इस FIR 59/2020 में मुझे कैसे फंसाया जा रहा है? दवे ने तर्क दिया कि जनवरी 2020 में गिरफ्तारी के बाद शरजील इमाम पुलिस हिरासत में थे, इसलिए फरवरी 2020 के दंगों को उनसे जोड़ना संभव नहीं.

'हमारे पास सिर्फ़ 4 हफ़्ते हैं' जैसे बयान ने तैयार की दंगे की जमीन

जस्टिस अरविंद कुमार ने पुलिस के इस तर्क का ज़िक्र किया कि शरजील इमाम के "हमारे पास सिर्फ़ 4 हफ़्ते हैं” जैसे बयान कथित तौर पर उस माहौल को बनाने का हिस्सा थे, जिसने दंगों की ज़मीन तैयार की. दवे ने कहा कि सिर्फ़ भाषण देने से UAPA की धारा 15 के तहत ‘आतंकी कृत्य' नहीं बनता, कोई और क़दम, कोई मीटिंग, कोई कार्रवाई दिखानी होगी. सिर्फ़ भाषण देकर मैं सप्लाई या इन्फ्रास्ट्रक्चर बाधित नहीं कर सकता.

‘असम को काटने' जैसी बात कैसे की गई?- सुप्रीम कोर्ट के सवाल

इस पर जस्टिस कुमार ने कहा कि भाषण से भी व्यवधान उत्पन्न हो सकता है और इमाम के यूपी वाले भाषण को पढ़ने को कहा, जिसमें ‘असम को काटने' जैसी बात थी. दवे ने बताया कि असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश में इन भाषणों पर पहले ही अलग-अलग FIR दर्ज हैं और उन्हें वहां जमानत या डिफ़ॉल्ट बेल मिल चुकी है. उन्होंने कहा, “मैंने जो कुछ भी किया, उसके लिए पहले ही अभियोजन हो रहा है. 750 में से किसी भी FIR में मेरा नाम आरोपी के तौर पर नहीं है.”

जस्टिस कुमार ने पूछा कि क्या हम आपकी यह दलील स्वीकार कर लें कि ये भाषण आतंकवादी कृत्य नहीं हैं? दवे ने कहा कि ये भाषण मौजूदा FIR में ‘आपराधिक साजिश' साबित नहीं कर सकते, क्योंकि भाषण के अलावा कोई कार्रवाई नहीं दिखाई गई. उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया था कि इमाम के भाषण हिंसा के लिए उकसाने वाले नहीं थे.

जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन.वी. अंजरिया की पीठ उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मीरा हैदर, शिफा-उर-रहमान, मोहम्मद सलीम खान और शादाब अहमद की ज़मानत याचिकाओं पर सुनवाई बुधवार को भी जारी रखेगी.

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