- सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण की समस्या को लेकर तत्काल प्रभावी कदम उठाने की जरूरत जताई है
- मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने साफ हवा उपलब्ध कराने के लिए ठोस और दीर्घकालिक रणनीति तैयार करने पर जोर दिया है
- अदालत ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए विशेषज्ञों की सलाह और हर इलाके के लिए अलग-अलग समाधान अपनाने की आवश्यकता बताई
दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण से बिगड़ते हालात पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई है. सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते प्रदूषण के स्तर को लेकर गंभीर चिंता जताई है. अदालत ने साफ कर दिया कि हवा की गुणवत्ता की समस्या गंभीर है और इसे तुरंत हल करने की दिशा में ऐसे कदम उठाने चाहिए, जिसका प्रभाव लंबे समय तक रहे. साथ ही मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- मुझे पता है कि यह दिल्ली-एनसीआर के लिए खतरनाक समय है। हमें बताएं कि हम क्या आदेश दे सकते हैं ताकि लोगों को तुरंत साफ हवा मिल सके.
प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए ठोस रणनीति पर होगी चर्चा
सुप्रीम कोर्ट की आज की सुनवाई में यह देखा जाएगा कि तत्काल और दीर्घकालिक उपाय क्या किए जा सकते हैं. कोर्ट की यह पहल नागरिकों की सेहत और दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है. विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता प्रदूषण न सिर्फ सांस के रोगों को बढ़ाता है, बल्कि बच्चों, बुजुर्गों और अस्वस्थ लोगों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करता है. सुप्रीम कोर्ट की इस सक्रिय भूमिका से उम्मीद जताई जा रही है कि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए ठोस रणनीति तैयार की जाएगी.
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'ज्यूडिशियल फोरम के पास कौन सी जादू की छड़ी'
मामले की पिछली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ते वायु प्रदूषण पर निराशा व्यक्त की और सवाल उठाया कि न्यायपालिका तत्काल राहत के लिए कौन सी 'जादुई छड़ी' इस्तेमाल कर सकती है. मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने इस संकट के कई कारणों पर प्रकाश डाला और केवल अदालती आदेशों पर निर्भर रहने के बजाय सभी कारणों की पहचान और विशेषज्ञों द्वारा संचालित समाधानों का आग्रह किया. हर इलाके के लिए अलग समाधान की जरूरत है. इसके लिए सरकार की बनाई कमेटियों और उनके कामकाज की भी समीक्षा करनी होगी. साथ ही रेगुलर मॉनिटरिंग की प्रक्रिया को मजबूत करना जरूरी है.
सीजेआई सूर्यकांत ने यह भी कहा कि प्रदूषण के मामले पर नियमित सुनवाई होनी चाहिए. उन्होंने नोट किया कि अक्सर दीपावली के समय प्रदूषण से संबंधित मामलों पर सुनवाई होती है, लेकिन उसके बाद यह मामले की लिस्ट से गायब हो जाता है. ऐसे मामलों में निरंतर निगरानी और नियमित सुनवाई आवश्यक है, ताकि ठोस और प्रभावी निर्णय लिए जा सकें.













