हर साल पर्यावरण दिवस (Environment Day) के दिन पेड़ों, पौधरोपण और धरती को बचाने जैसी तमाम बातें होती हैं, लेकिन हकीकत कोसों दूर नजर आती है. दूरदराज इलाकों की नहीं, दिल्ली की भी यही हकीकत है. सरकारी आंकड़ों से ही यह सामने आया है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली हर घंटे 3 पेड़ों को खो देती है. दिल्ली के वन विभाग ने बताया है कि विकास के नाम पर पिछले तीन सालों में 77 हजार पेड़ों को काटने (Delhi Trees Cut) की मंजूरी दी गई है.हाईकोर्ट में हाल ही में सौंपे दिल्ली सरकार के वन विभाग (Forest department) के आंकड़ों ने ये सच्चाई बयां की है. यह भी पता चला है कि जो भी नए पौधे लगाए जाते हैं, उनमें से एक तिहाई भी पेड़ों में तब्दील नहीं हो पाते हैं.
जानकारी में कहा गया है कि एजेंसियों ने दिल्ली प्रजर्वेशन ऑफ ट्रीज ऐक्ट (DPTA) के सेक्शन 9 के तहत 29, 946 और सेक्शन 9 के तहत 47,474 पेड़ काटने या दूसरी जगह लगाने की अनुमति दी. हालांकि पर्यावरणविदों का कहना है कि काटे गए पेड़ों की संख्या असलियत में इन आंकड़ों से कहीं ज्यादा हो सकती है. आरटीआई एक्टिविस्ट नीरज शर्मा की पेड़ों के आसपास कंक्रीट बिछाने से जुड़ी याचिका पर ये डेटा कोर्ट में दाखिल किया गया. अधिनियम की धारा 9 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो किसी पेड़ को हटाना चाहता है, उसे संबंधित वृक्ष अधिकारी के समक्ष भूमि के स्वामित्व के दस्तावेजों और जमीनी स्तर से 1.85 मीटर की ऊंचाई पर पेड़ों (Plantation) की परिधि माप के साथ अनुमति के लिए आवेदन करना चाहिए.
धारा 29 सरकार को एक अधिसूचना के माध्यम से जनहित में अधिनियम से "किसी भी क्षेत्र या पेड़ों की किसी भी प्रजाति" को छूट देने का अधिकार देती है. वेस्ट फॉरेस्ट डिवीजन ने 8953 पेड़ों को काटने और 13,846 को दूसरी जगह प्रतिरोपित करने की मंजूरी दी, जो सबसे ज्यादा है. सेंट्रल फॉरेस्ट डिवीजन ने इन्हीं तीन सालों में 2866 पेड़ों को काटने और 701 दूसरी जगह प्रतिरोपित करने की अनुमति दी. नार्थ फॉरेस्ट डिवीजन ने 689 पेड़ों को काटने और 269 दूसरी जगह लगाने की मंजूरी दी है. साउथ फारेस्ट डिवीजन में 982 पेड़ों को गिराने और दो हजार को दूसरी जगह लगाने की सहमति दी.
दिल्ली सरकार ने 2019 से 2021 के बीच 52 नोटिफिकेशन जारी किए और 15426 पेड़ काटने और 32048 के ट्रांसप्लांटेशन की मंजूरी दी. हाईकोर्ट में दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में सरकार ने माना है कि एक जगह से हटाकर दूसरी जगह लगाए गए एक तिहाई पेड़ ही जिंदा रह पाते हैं. इन तीन सालों में पेड़ों को काटने के बदले जिम्मेदार एजेंसियों ने 1,58, 522 पौधे लगाए , जबकि उन्हें 4,09,046 पौधे लगाने थे. एक पेड़ काटने के बदले दस पौधे (saplings) लगाने का शर्त है, लेकिन इनका पर्याप्त रखरखाव नहीं होता है. गैरकानूनी तरीके से पेड़ काटने, नुकसान पहुंचाने, उनके चारों ओर कंक्रीट बिछाने की भी तमाम घटनाएं हुई हैं. ज्यादातर मामलों में आरोपियों ने जुर्माना तक नहीं भरा.