- दिल्ली HC ने पतंजलि आयुर्वेद और पतंजलि फूड्स को डाबर के च्यवनप्राश विज्ञापनों से जुड़े विवाद में चेतावनी दी है
- कोर्ट ने पतंजलि को पूर्व आदेश के उलट विज्ञापन वापसी की बजाय केवल आपत्तिजनक पंक्तियां हटाने का निर्देश दिया था
- डाबर ने पतंजलि के विज्ञापनों को भ्रामक और मानहानिकारक बताया है.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और पतंजलि फूड्स लिमिटेड को चेतावनी दी है. कोर्ट की ये चेतावनी डाबर इंडिया के साथ च्यवनप्राश के विज्ञापनों को लेकर चल रहे विवाद को लेकर दी गई है. रामदेव की कंपनी इस विवाद के बीच कोर्ट में अपनी अपली पर अड़ी हुई है. ऐसे में न्यायालय ने चेतावनी दी है कि अगर कंपनी अपनी अपील वापस नहीं लेती है तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.
पतंजलि ने बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय के वाणिज्यिक अपीलीय खंड में इस आदेश को चुनौती दी, यह तर्क देते हुए कि यह निर्णय वाणिज्यिक भाषण और दिखावे के स्थापित सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है. कंपनी ने तर्क दिया कि अपने उत्पाद की विशिष्टता को उजागर करने के उसके अधिकार में कटौती नहीं की जानी चाहिए. जब मामला न्यायमूर्ति हरि शंकर और न्यायमूर्ति शुक्ला के समक्ष आया, तो पीठ ने अपील पर अपनी असहमति व्यक्त की. यह देखते हुए कि एकल न्यायाधीश ने केवल विशिष्ट अपमानजनक सामग्री को हटाने के लिए सीमित निर्देश जारी किए थे, पीठ ने सुझाव दिया कि पतंजलि की चुनौती अनावश्यक थी.