दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को उन अधिकारियों के संपर्क नंबर उपलब्ध कराने का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दिया है, जिन्होंने मादक पदार्थ मामले में छापेमारी की थी और तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. न्यायालय ने कहा कि छापेमारी करने वाले दल के सदस्य एक विशेष जांच एजेंसी से संबंधित होते हैं जो राष्ट्रीय हित, आतंकवाद और मादक पदार्थ तस्करी के मामलों में जांच करती है और उनके कॉल रिकॉर्ड को उपलब्ध कराने से उनकी सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. उच्च न्यायालय ने कहा कि पुलिस अधिकारियों के ‘कॉल डिटेल रिकॉर्ड' (CDR) को उपलब्ध कराने से उनके गुप्त मुखबिरों की पहचान भी उजागर हो सकती है.
न्यायालय ने कहा, ‘‘छापेमारी करने वाले दल के सदस्य एक विशेष जांच एजेंसी से संबंधित होते हैं जो राष्ट्रीय हित, आतंकवाद, संगठित आपराधिक गतिविधियों और मादक पदार्थ तस्करी के मामलों में जांच करती है और उनके कॉल रिकॉर्ड को उपलब्ध कराने से उनकी सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और उक्त उद्देश्य के लिए छापेमारी दल के सदस्यों को गुप्त मुखबिरों के संपर्क में रहना होगा.'' अदालत एक आरोपी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें यहां बाबा हरिदास नगर पुलिस थाने में दर्ज मादक पदार्थ मामले में छापेमारी दल के सदस्यों के संपर्क नंबर और उनके मोबाइल की ‘लोकेशन' बताये जाने के लिए जांच एजेंसी को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. याचिका में यह भी अनुरोध किया गया कि पुलिस मामले की निष्पक्ष जांच करे.
अभियोजन पक्ष के अनुसार आठ अक्टूबर, 2021 को एक पुलिस अधिकारी को गोपनीय सूचना मिली थी कि तीन व्यक्ति एक ट्रक में ओडिशा से प्रतिबंधित गांजा लेकर यहां नजफगढ़ के पास एक व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए आ रहे हैं. इसके बाद, कई पुलिस अधिकारियों के एक छापेमारी दल का गठन किया गया और याचिकाकर्ता आरोपी सहित तीन लोगों को पकड़ा गया और स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएस) के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई. आरोपी के वकील ने दलील दी कि उसे जांच एजेंसी द्वारा मामले में झूठा फंसाया गया है और उसे उस तरीके से गिरफ्तार नहीं किया गया था जैसा कि प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है और यह पूरा मामला मनगढ़ंत है.