तीनों सेनाओं की संयुक्त शक्ति ही है जीत की गारंटी : राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिन्दूर इस बात का प्रमाण है कि जब हमारी सेनाएं एकजुट होकर काम करती हैं तो इनकी संयुक्त शक्ति कई गुना बढ़ जाती है.

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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं की संयुक्तता पर ज़ोर देते हुए कहा कि यह सिर्फ नीति का नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व का विषय है. उन्होंने कहा कि जब तीनों सेनाएं एक ही स्वर, लय और ताल में कार्य करेंगी तब हम किसी भी प्रतिद्वंद्वी को हर मोर्चे पर जवाब दे पाएंगे. राजनाथ सिंह वायुसेना द्वारा तीनों सेनाओं में संयुक्तता पर आयोजित एक सेमिनार में बोल रहे थे.

ऑपरेशन सिंदूर का उदाहरण

रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिन्दूर इस बात का प्रमाण है कि जब हमारी सेनाएं एकजुट होकर काम करती हैं तो इनकी संयुक्त शक्ति कई गुना बढ़ जाती है. ऑपरेशन सिंदूर में तीनों सेनाओं ने मिलकर काम किया जो हमारी सफलता में निर्णायक बना. उन्होंने कहा कि सेना, वायुसेना और नौसेना की प्रणालियों को एकीकृत करने से एक रीयल टाइम ऑपरेशनल तस्वीर बनी, जिससे कमांडरों को सही और तेज़ फैसले लेने में मदद मिली. इससे स्थितिजन्य जागरूकता बढ़ी और अपनी ही सेना पर हमले जैसी गलतियों का खतरा खत्म हुआ. सिंह ने कहा कि इस सफलता को भविष्य के सभी अभियानों के लिए मानक बनना चाहिए.

संयुक्तता आधुनिक युद्ध की ज़रूरत

रक्षा मंत्री ने कहा कि आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति और पारंपरिक व अप्रत्यक्ष खतरों की जटिलता ने संयुक्तता को विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता बना दिया है. थल, जल, आकाश, अंतरिक्ष और साइबर जैसे क्षेत्र परस्पर जुड़े हैं इसलिए किसी एक सेवा की स्वतंत्र क्षमता पर्याप्त नहीं, संयुक्त शक्ति ही विजय की गारंटी है. उन्होंने कोलकाता में हाल ही में आयोजित कम्बाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का उल्लेख भी किया जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सेनाओं के बीच संयुक्तता और एकीकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया था.

पुरानी मानसिकता बदलें

गौरतलब है कि सेना के तीनों अंगों में संयुक्तता लाने की कोशिशें देश के पहले सीडीएस जनरल विपिन रावत के दौर से ही जारी हैं, लेकिन सेनाओं में इससे जुड़े हर विषय पर आमराय बनाने में दिक्कतें आ रही हैं. इसके मद्देनज़र राजनाथ ने ज़ोर देकर कहा कि हम पुरानी एकला चलो रे वाली मानसिकता को तोड़ेंगे और एक साथ ज्वाइंटनेस की ओर बढ़ेंगे. रक्षा मंत्री ने कहा कि हर सैनिक, हर अधिकारी और कर्मचारी को यह समझना होगा कि संयुक्तता उनकी सुरक्षा, क्षमता और मिशन की सफलता के लिए आवश्यक है, तभी हम सेनाओं की क्षमताओं के एकीकरण की ओर मजबूती से आगे बढ़ पाएंगे.

एक-दूसरे से सीखें सेनाएं

राजनाथ ने कहा कि दशकों से हर सेना ने अपने अनुभवों के आधार पर निरीक्षण व ऑडिट प्रणाली विकसित की, लेकिन यह अक्सर उसी सेवा तक सीमित रही. अब समय है कि इस संकीर्णता को खत्म कर साझा सीख और सामूहिक अनुभव पर जोर दिया जाए. उन्होंने चेताया कि विमानन सुरक्षा और साइबर युद्ध जैसे क्षेत्रों में मानकों में अंतर घातक सिद्ध हो सकता है. साथ ही स्पष्ट किया कि एकीकरण के दौरान हर सेवा की विशिष्ट परिस्थितियों और परंपराओं का सम्मान होना चाहिए. रक्षा मंत्री ने कहा कि संयुक्तता केवल संरचनात्मक सुधार से नहीं, बल्कि सोच में बदलाव से संभव है। इसके लिए सभी स्तरों पर नेतृत्व को लगातार संवाद करना होगा और परंपराओं का सम्मान करते हुए नई व्यवस्थाएं विकसित करनी होंगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि हम दूसरों से सीख सकते हैं, लेकिन हमारे समाधान भारतीय परिस्थितियों, आवश्यकताओं और संस्कृति के अनुरूप होने चाहिए. तभी हम भविष्य के लिए तैयार, टिकाऊ और स्वदेशी प्रणालियां विकसित कर पाएंगे.

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