चीन से सटे इलाकों में तेजी से करें सड़क और बुनियादी ढांचे का विकास : राजनाथ सिंह

बीआरओ के 63वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत की सीमाओं की रक्षा करने वालों को अधिकतम सुविधाएं प्रदान करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. रक्षा मंत्री ने कहा, 'हाल के दिनों में उत्तरी सेक्टर में चीनी उपस्थिति बढ़ी है. पर्वतीय क्षेत्रों में निर्माण में अपनी दक्षता के कारण, वे बहुत जल्द विभिन्न स्थानों तक पहुंचने का प्रबंधन करते हैं.'

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार BRO को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए सभी प्रयास कर रही है.
नई दिल्ली:

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने शनिवार को सीमा सड़क संगठन (BRO) से प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के जरिए तेजी से बुनियादी ढांचा विकसित करने को कहा. उन्होंने उल्लेख किया कि पर्वतीय क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों को अंजाम देकर चीन ने उत्तरी सेक्टर में अपनी मौजूदगी बढ़ा दी है. सिंह ने यह भी कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास सरकार की 'व्यापक रक्षा रणनीति' का एक प्रमुख हिस्सा है. उन्होंने कहा कि यह देश के समग्र सुरक्षा तंत्र को मजबूत करेगा.

बीआरओ के 63वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत की सीमाओं की रक्षा करने वालों को अधिकतम सुविधाएं प्रदान करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. रक्षा मंत्री ने कहा, 'हाल के दिनों में उत्तरी सेक्टर में चीनी उपस्थिति बढ़ी है. पर्वतीय क्षेत्रों में निर्माण में अपनी दक्षता के कारण, वे बहुत जल्द विभिन्न स्थानों तक पहुंचने का प्रबंधन करते हैं.'

उन्होंने कहा, 'बीआरओ को समानांतर रूप से काम करना जारी रखना चाहिए और प्रौद्योगिकी के पूर्ण उपयोग के साथ अपनी क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.' सिंह ने कहा कि सरकार बीआरओ को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए सभी प्रयास कर रही है.

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मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में गतिरोध शुरू होने के बाद भारत 3,400 किलोमीटर से अधिक लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बुनियादी ढांचे में सुधार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. सिंह ने देश की सुरक्षा और सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए वित्त वर्ष 2022-23 में बीआरओ के पूंजीगत बजट को 40 प्रतिशत बढ़ाकर 3,500 करोड़ रुपये करने की हालिया घोषणा का उल्लेख किया.

उन्होंने बीआरओ को न केवल बजटीय, बल्कि हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया. सिंह ने कहा, 'सीमावर्ती क्षेत्रों के लोग जितने अधिक सशक्त होंगे, वे उन क्षेत्रों की सुरक्षा के बारे में उतने ही अधिक जागरूक और चिंतित होंगे. नागरिक राष्ट्र की सबसे बड़ी शक्ति हैं.'

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उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए बदलते समय के साथ हम अपने सीमावर्ती इलाकों के विकास के लिए आगे बढ़ने को प्रतिबद्ध हैं. हमारी सुरक्षा के लिए चौबीसों घंटे काम करने वालों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं मुहैया कराना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है.''रक्षा मंत्री ने न केवल क्षेत्रों में बल्कि पूरे देश के लिए 'सुरक्षा और समृद्धि के नए दरवाजे' खोलने के लिए बीआरओ की भी सराहना की.

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उन्होंने कहा कि बीआरओ केवल एक निर्माण संगठन नहीं, बल्कि एकता, अनुशासन, समर्पण और कर्तव्य के प्रति समर्पण का एक ज्वलंत उदाहरण है. राष्ट्र की प्रगति में सड़कों, पुलों और सुरंगों के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि बीआरओ द्वारा पूरी की गई परियोजनाओं से सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियां बढ़ी हैं और दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है.

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सिंह ने कहा, 'सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल्पना के अनुसार एक मजबूत, सुरक्षित और आत्मनिर्भर 'न्यू इंडिया' के निर्माण के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता का सूचक है.' उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्र 'विकास के नए केंद्र' के रूप में उभरे हैं और पूर्वोत्तर जैसे क्षेत्र न केवल खुद को विकसित कर रहे हैं, बल्कि देश की सर्वांगीण प्रगति के लिए 'गेटवे' भी बन गए हैं.

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रक्षा मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत को दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ता है. सिंह ने 75 कैफे और पर्यटन पोर्टल के माध्यम से दूर-दराज के क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी बीआरओ की सराहना की और कहा कि ये पहल संगठन के लगातार बढ़ते विकास की प्रतीक हैं. रक्षा मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी याद किया जिन्होंने दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को जोड़ने के लिए 'स्वर्णिम चतुर्भुज' की नींव रखी थी.

अपने संबोधन में, बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने बीआरओ कर्मियों से नए जोश और समर्पण के साथ उत्कृष्टता के पथ पर लगातार आगे बढ़ते रहने को कहा. उन्होंने उन्हें कुछ महत्वपूर्ण सुरंग और हवाई क्षेत्र निर्माण परियोजनाओं को जल्द पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया.

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रक्षा मंत्री ने भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (बीआईएसएजी-एन) द्वारा विकसित दो सॉफ्टवेयर-बीआरओ संसाधन प्रबंधन प्रणाली और बीआरओ बजट प्रबंधन प्रणाली भी शुरू की. बीआरओ की स्थापना 1960 में हुई थी और शुरुआत में इसकी केवल दो परियोजनाएं थीं.
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि संगठन ने भारत की सीमाओं के साथ-साथ मित्र देशों में प्रतिकूल जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों में 60,000 किलोमीटर से अधिक सड़कों, 840 से अधिक पुल, चार सुरंगों और 19 हवाई क्षेत्रों का निर्माण किया है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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