मानहानि मामला: राहुल गांधी ने माफी मांगने से फिर किया इनकार, 4 अगस्त को SC में होगी सुनवाई

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने 2019 में गांधी के खिलाफ उनकी इस टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था.

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नई दिल्ली:

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी उपनाम वाली अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगने से एक बार फिर इनकार कर दिया है, जिसके कारण उन्हें संसद की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था. गांधी ने हालांकि उच्चतम न्यायालय से अपनी टिप्पणी से उत्पन्न आपराधिक मानहानि मामले में अपनी सजा पर रोक लगाने का आग्रह किया और इस बात पर जोर दिया कि वह दोषी नहीं हैं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने 2019 में गांधी के खिलाफ उनकी इस टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था कि ‘‘सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों है?'' उक्त टिप्पणी गांधी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान की थी.

शीर्ष अदालत के समक्ष दायर एक हलफनामे में, गांधी ने कहा कि मोदी ने अपने जवाब में उनके लिए 'अहंकारी' जैसे 'निंदात्मक' शब्दों का इस्तेमाल केवल इसलिए किया क्योंकि उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया है. गांधी ने अपने हलफनामे में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता को बिना किसी गलती के माफी मांगने के लिए मजबूर करने के लिए आपराधिक प्रक्रिया और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत प्रभावों का उपयोग करना न्यायिक प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है और इस न्यायालय द्वारा इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए.''

गांधी ने हलफनामे में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता का कहना है और उसने हमेशा कहा है कि वह अपराध का दोषी नहीं है और दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं है और अगर उसे माफी मांगनी होती और समझौता करना होता, तो वह बहुत पहले ही ऐसा कर चुके होते.'' केरल के वायनाड से सांसद के रूप में अयोग्य ठहराये गए राहुल गांधी ने कहा कि उनका मामला 'असाधारण' है, क्योंकि अपराध 'मामूली' है और एक सांसद के तौर पर अयोग्य ठहराए जाने से उन्हें अपूरणीय क्षति हुई है.

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उन्होंने हलफनामे में कहा, ‘‘इसलिए प्रार्थना की जाती है कि राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाई जाए, जिससे वह लोकसभा की चल रही बैठकों और उसके बाद के सत्रों में हिस्सा ले सकें.'' उन्होंने दावा किया कि रिकॉर्ड में 'मोदी' नाम का कोई समुदाय या 'समाज' नहीं है और इसलिए, समग्र रूप से मोदी समुदाय को बदनाम करने का अपराध नहीं बनता है. हलफनामे में कहा गया है, ‘‘रिकॉर्ड में कोई मोदी समाज या समुदाय नहीं है और केवल मोदी वणिका समाज या मोध घांची समाज ही अस्तित्व में है... उन्होंने (शिकायतकर्ता) ने यह भी स्वीकार किया है कि मोदी उपनाम विभिन्न अन्य जातियों के अंतर्गत आता है. यह भी स्वीकारोक्ति है कि नीरव मोदी, ललित मोदी और मेहुल चोकसी सभी एक ही जाति में नहीं आते.''

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इससे पहले, पूर्णेश मोदी ने उच्चतम न्यायालय से राहुल गांधी की उस अपील को खारिज करने का सोमवार को आग्रह किया था, जिसमें कांग्रेस नेता ने आपराधिक मानहानि के एक मामले में अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने का आग्रह किया है. पूर्णेश मोदी ने कहा था कि गांधी ने मोदी उपनाम वाले सभी लोगों को खासकर गुजरात के ‘मोध वणिक' जाति से संबंधित लोगों का अपमान किया है.

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शीर्ष अदालत ने 21 जून को गांधी की अपील पर मोदी और राज्य सरकार से जवाब मांगा था. गांधी ने 15 जुलाई को दायर अपनी अपील में कहा है कि यदि सात जुलाई के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई, तो इससे बोलने, अभिव्यक्ति, विचार और बयान की स्वतंत्रता का गला घोंट दिया जाएगा. कांग्रेस नेता को 24 मार्च को संसद के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था जब गुजरात की एक अदालत ने उन्हें मोदी उपनाम टिप्पणी के लिए आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराया और दो साल की सजा सुनाई थी.

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उच्च न्यायालय ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध वाली उनकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि 'राजनीति में शुचिता' समय की मांग है. गांधी की दोषसिद्धि पर रोक से लोकसभा सदस्य के रूप में उनकी बहाली का मार्ग प्रशस्त हो सकता था, लेकिन वह सत्र अदालत या गुजरात उच्च न्यायालय से कोई राहत पाने में विफल रहे है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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