विधान सभाओं में चर्चा के स्तर में गिरावट चिंता का विषय : लोकसभा अध्यक्ष

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुजरात विधानसभा में कहा, सदस्यों को अपनी बात तथ्यों के साथ रखनी चाहिए. निराधार आरोपों पर आधारित तर्क लोकतंत्र को कमजोर करते हैं

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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गांधीनगर में गुजरात विधानसभा सदस्यों के प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित किया.
नई दिल्ली:

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज गांधीनगर में गुजरात विधानसभा के सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस अवसर पर ओम बिरला ने कहा कि गुजरात की 15वीं विधानसभा युवा शक्ति और अनुभव का अनूठा मेल है. उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि विधानसभा में 82 नवनिर्वाचित सदस्य हैं और 15 महिलाएं निर्वाचित हुई हैं, जिनमें से 8 पहली बार सदस्य बनी हैं. गुजरात के मुख्य मंत्री भूपेंद्र रजनीकांत पटेल; गुजरात विधान सभा के अध्यक्ष शंकर चौधरी और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति इस कार्यक्रम में मौजूद थे.

निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते उन पर  मतदाताओं की समस्याओं के समाधान की बड़ी जिम्मेदारी है. इसलिए विधानमंडलों में चर्चा और संवाद होना चाहिए और चर्चा का स्तर उच्चतम स्तर का होना चाहिए. लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि राज्य विधान सभाओं में चर्चा और संवाद का स्तर जितना ऊंचा होगा, कानून उतने ही बेहतर बनेंगे. सदन में सार्थक चर्चा करने के लिए यह आवश्यक है कि सदस्यों को नियमों और प्रक्रियाओं की जानकारी हो. इसलिए सदन को चर्चा और संवाद का एक प्रभावी केंद्र बनना चाहिए ताकि हमारा लोकतंत्र मजबूत बने. 

पीठासीन अधिकारियों की भूमिका का जिक्र करते हुए बिरला ने कहा कि पीठासीन अधिकारी का यह दायित्व है कि वह सदन की गरिमा बढ़ाने की दिशा में कार्य करें. सदनों में चर्चा के स्तर में गिरावट और सदन की गरिमा में गिरावट हमारे लिए चिंता का विषय है. एक उत्कृष्ट विधायक वही होता है जो उत्कृष्ट गुणवत्तापूर्ण चर्चा और संवाद में भाग लेता है और सदन की प्रतिष्ठा को बढ़ाता है. सदस्यों को तथ्यों के साथ अपनी बात रखनी चाहिए क्योंकि निराधार आरोपों पर आधारित तर्क लोकतंत्र को कमजोर करते हैं.

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लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका को लेकर ओम बिरला ने कहा कि विपक्ष की भूमिका सकारात्मक, रचनात्मक और शासन में जवाबदेही सुनिश्चित करने वाली चाहिए. लेकिन जिस तरह सुनियोजित तरीके से सदनों की कार्यवाही में बाधा डालकर सदनों का कार्य स्थगित करने की परंपरा डाली जा रही है, वह लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है. सदन में चर्चा, वाद-विवाद, असहमति हो, लेकिन सदन में गतिरोध कभी नहीं होना चाहिए. उन्होंने सदस्यों से सदन के नियमों और प्रक्रियाओं और विगत वर्षों के वाद-विवाद का अध्ययन करने  का आग्रह किया. बिरला ने कहा कि सदस्य नियमों, प्रक्रियाओं और पिछले वर्षों में हुए वाद-विवाद से जितने अधिक परिचित होंगे, उनके भाषण उतने ही समृद्ध होंगे. बिरला ने यह भी कहा कि नारे लगाने और विधान सभा की कार्यवाही में बाधा डालने से कोई भी श्रेष्ठ विधायक नहीं बन सकता.

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'वन नेशन, वन डिजिटल प्लेटफॉर्म' का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप काम चल रहा है ताकि सभी राज्यों की विधान सभाओं और उनके द्वारा पारित कानूनों पर हुए वाद-विवाद और चर्चा को एक मंच पर लाया जा सके. इस संदर्भ में बिरला ने विधानमंडलों की दक्षता में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग और शोध कार्य को मजबूत करने पर बल दिया.

भारत की जी-20 अध्यक्षता के बारे में बिरला ने कहा कि यह भारत की समृद्ध लोकतांत्रिक परंपरा और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने का एक ऐतिहासिक अवसर है.

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इस अवसर सभा को गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र रजनीकांत पटेल ने कहा कि गुजरात एक आदर्श राज्य है जो देश के विकास इंजन के रूप में विकसित हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि जब अन्य राज्यों या विधायिकाओं में विकास के मुद्दों पर चर्चा होती है, तो वे गुजरात को मॉडल के रूप में देखते हैं. पटेल ने जनप्रतिनिधियों के कर्तव्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों को लोकतंत्र के मंदिर, विधायी संस्थाओं की मर्यादा को बनाए रखना चाहिए.

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प्रबोधन कार्यक्रम के उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए पटेल ने कहा कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली, प्रक्रियाओं और नियमों की विस्तृत जानकारी देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जो एक सराहनीय कदम है. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम की सहायता से विधायकजन सदन में प्रभावी ढंग से भाग ले सकेंगे. मुख्यमंत्री ने सदस्यों से लोगों के कल्याण के लिए आम सहमति से जनकल्याण के फैसलों में भाग लेने का आग्रह किया. उन्होंने आशा व्यक्त की कि दो दिवसीय कार्यक्रम की चर्चा और निष्कर्ष सदस्यों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा और सदस्य अपने कामकाज  से सुनिश्चित करेंगे कि संसदीय लोकतंत्र के उच्चतम मूल्यों को और सशक्त किया जाए.

कार्यशाला के शुभारंभ समारोह में स्वागत संबोधन में गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष  शंकरभाई चौधरी ने कहा कि गुजरात की जनता द्वारा निर्वाचित जनप्रतिनिधि संसदीय कार्यप्रणाली, नियमों एवं सदन की कार्यवाही से परिचित हों और अपने कर्तव्यों का सुचारु रूप से पालन कर जनाकांक्षाओं पर खरे उतर सकें; इस उद्देश्य इस विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया है. 

दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम का समापन 16 फरवरी को गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के भाषण के साथ होगा. गुजरात विधानमंडल के सदस्यों के लिए इस प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन लोक सभा सचिवालय के संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) द्वारा गुजरात विधान सभा सचिवालय के सहयोग से किया जा रहा है.

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