सहमति वापस लेने के बावजूद सीबीआई द्वारा मामले दर्ज करना जारी रखने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में ममता सरकार के सिविल सूट पर सुनवाई हुई. बंगाल सरकार की तरफ से कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने पक्ष रखा वहीं केंद्र की तरफ से SG तुषार मेहता ने पक्ष रखा. जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच मे इसकी सुनवाई हुई.
केंद्र सरकार ने क्या कहा?
केंद्र ने सरकार ने कहा कि मामला सुनवाई योग्य नहीं है. सीबीआई एक स्वतंत्र जांच एजेंसी है.इन मामलों को दर्ज करने में केंद्र की कोई भूमिका नहीं है. ये सब मामले अदालत के आदेशों पर दर्ज किए गए. सीबीआई के मामलो में केंद्र का कोई दखल नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने मामला मंजूर किया तो इसका मतलब एक झटके में हाईकोर्ट के आदेशों को रद्द करना है. SG ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट इस मामले को स्वीकार कर लेता है तो कई आदेशों को रद्द करना होगा. ऐसा करना जांच के लिए CVC के आदेश पर सवाल उठाना होगा.
राज्य सरकार की तरफ से कपिल सिब्बल ने रखा पक्ष
राज्य सरकार की तरफ से कपिल सिब्बल ने कहा कि हम जांच में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं बल्कि पूछ रहे हैं कि क्या सीबीआई के पास शक्ति है. सामान्य सहमति वापस लेने के बावजूद मामले दर्ज कर देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन है. केंद्र जांच जारी रखे हुए है. वह सीबीआई को जांच करने का अधिकार दे रही है. सीबीआई निदेशक की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है, अधीक्षण केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है. कपिल सिब्बल ने कहा कि हम जांच में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. सिब्बल ने कहा जब प्रदेश सरकार ने CBI जांच की सामान्य सहमति को वापस ले लिया है बावजूद इसके CBI मुक़दमा दर्ज कर देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन हो रहा है. उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश के द्वारा दर्ज मामलों के अलावा एजेंसी ने कई मामले दर्ज कर लिए है.सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर अगली सुनवाई 23 नवंबर को करेगा.
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