उत्तराखंड के 'धंसते शहर' में खतरनाक इमारतों को लाल रंग से चिह्नित किया गया

लगातार जमीन घंसने की घटनाओं के मद्देनजर जोशीमठ को 'sinking zone' घोषित किया गया है, यहां के कई घरों और सड़कों में पिछले कुछ दिनों में दरारें आई हैं जिसके चलते क्षेत्र के निवासियों में डर व्‍याप्‍त है.

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जोशीमठ के सैकड़ों घरों में जमीन धंसने के कारण दरारें आ गई हैं

जोशीमठ:

उत्‍तराखंड के जोशीमठ (Joshimath) में जमीन धंसने की घटना को मद्देनजर हालात गंभीर हैं. चमोली जिले के डीएम हिमांशु खुराना ने बताया कि हालात की गंभीरता को देखते हुए इस धार्मिक शहर की सभी खतरनाक इमारतों पर लाल रंग से 'X'का चिन्‍ह अंकित किया जा रहा है. जिला प्रशासन की ओर से इन इमारतों को रहने के लिहाज से असुरक्षित घोषित किए जाने के बाद इसके निवासियों को सुरक्षित स्‍थान पर शिफ्ट किया जा रहा है. चमोली के डिस्ट्रिक्‍ट मजिस्‍ट्रेट हिमांशु खुराना ने सोमवार को न्‍यूज एजेंसी ANI से कहा, "आपदा प्रबंधन अधिनियम (Disaster Management Act) के तहत, हमने उन असुरक्षित क्षेत्रों को चिह्नित किया है जो रहने के लिहाज से अनुपयुक्त हैं. इन क्षेत्रों में सिंधी गांधीनगर और मनोहर बाग शामिल हैं."

लगातार जमीन घंसने की घटनाओं के मद्देनजर जोशीमठ को 'sinking zone (धंसता क्षेत्र)' घोषित किया गया है, यहां के कई घरों और सड़कों में पिछले कुछ दिनों में दरारें आई हैं जिसके चलते क्षेत्र के निवासियों में डर व्‍याप्‍त है. 6150 फीट (1875 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित जोशीमठ, कई हिमालयी पर्वतारोहण अभियानों, ट्रेकिंग अभियानों और केदारनाथ व बद्रीनाथ जैसे लोकप्रिय तीर्थस्थलों का प्रवेशद्वार है. क्षेत्र के 600 से अधिक घरों में जमीन धंसने के कारण दरारें आ गई हैं. स्थिति को ध्‍यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद स्थिति का अध्ययन करने और सिफारिशें पेश करने के लिए सात विभिन्न संगठनों के विशेषज्ञों की एक टीम गठित की है. राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA),राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, IIT रुड़की, वाडिया हिमालयी भूविज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों को स्थिति का आकलन करने और इस पवित्र शहर को बचाने के लिए सिफारिशें देने का सौंपा गया है. 

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