कोरोना की पाबंदियों की धज्जियां उड़ीं, कोरेगांव-भीमा युद्ध के जयस्तंभ स्मारक पर लाखों की भीड़ पहुंची

पुणे प्रशासन ने कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए 60 साल से अधिक उम्र के लोगों और 10 साल से कम उम्र के बच्चों से जयस्तंभ पहुंचने से बचने की अपील की थी, लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिला.

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कोरेगांव-भीमा युद्ध के 204 साल पूरे होने के मौके पर जयस्तंभ पर पहुंची भीड़
पुणे:

महाराष्ट्र में भले ही कोरोना के रोजाना के केस 9 हजार के पार कर गए हों, लेकिन भीड़ की डराने वाली तस्वीरें लगातार सामने आ रही हैं. ऐसा ही वाकया शनिवार को पुणे में देखने को मिला,जब कोरेगांव-भीमा युद्ध के 204 साल पूरे होने के मौके पर शनिवार को लाखों की भीड़ पहुंची. पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पुणे में जयस्तंभ स्मारक पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की.कोरोना के मामले बढ़ने और तमाम प्रतिबंधों को धता बताते हुए बड़ी संख्या में लोग यहां जुटे. जबकि पिछले साल कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर बहुत कम संख्या में लोग जयस्तंभ पहुंचे थे.

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एसपी (पुणे ग्रामीण) अभिनव देशमुख ने कहा, दोपहर तक जयस्तंभ पहुंचने वाले लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ.यह शाम पांच बजे के बाद भी जारी रहा. लगभग 200 बसें पुणे के विभिन्न इलाकों से कोरेगांव-भीमा के लिए चल रही हैं. लाखों लोगों ने शनिवार सुबह से श्रद्धांजलि अर्पित की है.  जिला प्रशासन ने कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए 60 साल से अधिक उम्र के लोगों और 10 साल से कम उम्र के बच्चों से जयस्तंभ पहुंचने से बचने की अपील की थी, लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिला.

देशमुख ने कहा कि स्मारक पहुंचने वाले बुजुर्गों की संख्या कम है, हालांकि 10 साल से कम उम्र के बच्चे अपने माता-पिता के साथ नजर आ रहे हैं. सामान्य समय में, मुख्य रूप से दलित समुदाय के लाखों लोग, हर साल एक जनवरी को जयस्तंभ देखने पहुंचते हैं. इस स्तंभ को अंग्रेजों ने 1818 की लड़ाई में पेशवाओं के खिलाफ लड़ने वाले सैनिकों की याद में बनवाया था.

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार, राज्य के गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल, समाज कल्याण मंत्री धनंजय मुंडे, ऊर्जा मंत्री नितिन राउत, सांसद आमोल कोल्हे और वीबीए नेता प्रकाश आंबेडकर भी सुबह पेरने गांव के पास स्थित जयस्तंभ पहुंचे. स्मारक के पास भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात हैं और कोविड-19 जांच आदि की व्यवस्था की गई थी.

पुणे जिला प्रशासन की ओर से धारा 144 के तहत जारी एक आदेश के अनुसार स्मारक के आसपास के गांवों में बैनर आदि लगाना, ऐसी सामग्री पोस्ट करना जिससे अफवाह फैलने की आशंका हो, समुदायों के बीच घृणा पैदा हो सकती हो, आदि पर पाबंदी है.

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