एयर इंडिया की फ्लाइट में एक महिला सहयात्री पर पेशाब करने के आरोपी शंकर मिश्रा को पटियाला हाउस कोर्ट से जमानत नहीं मिल सकी है. कोर्ट ने आरोपी शंकर मिश्र की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया. दिल्ली पुलिस ने आरोपी शंकर मिश्रा की जमानत का विरोध किया था. कोर्ट ने आरोपी की जमानत अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी कि उसे इस समय जमानत पर रिहा करना उचित नहीं है. MM कोमल गर्ग की कोर्ट मे मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान शंकर मिश्रा के वकील मनु शर्मा ने कोर्ट में कहा, " केवल सेक्शन 354 ही गैर जमानती धारा लगी है बाकी सब जमानती है और सजा भी सात साल से कम है." उन्होंने कहा, "मामले में 20 दिसंबर को शिकायत पोर्टल पर दी गई और 4 जनवरी को एयरपोर्ट पुलिस द्वारा FIR दर्ज की गई, 7 जनवरी को पूछताछ के लिए बुलाया गया. 4 जनवरी को ही एयर इंडिया ने भी इंटरनल कमेटी बनाकर जांच शुरू की. 4 जनवरी को ही हमारे वकील कमेटी के सामने पेश हुए तब मैं नहीं भागा, मैं वहां पेश हुआ. 6 जनवरी को पुलिस ने सोच लिया कि मैं नहीं मिलूंगा और गैर जमानती वारंट जारी करवा दिया."
आरोपी की ओर से जिरह करते हुए वकील मनु शर्मा ने कहा, "मैं मानता हूं कि मैने जिप खोला. ये आपत्तिजनक हरकत थी लेकिन क्या ये सेक्सुअल हरकत थी, कोई इरादा भी नहीं था. शिकायतकर्ता का मामला मुझे एक वासनापूर्ण व्यक्ति के रूप में नहीं दिखता है, उनको जिस स्थिति से गुजरना पड़ा उसको में समझता हूं. जांच में समय लगेगा लेकिन आरोपी को बर्खास्त कर दिया गया है, उसके भागने का जोखिम नहीं है." दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस ने शंकर मिश्रा को जमानत देने का विरोध किया और कहा कि आरोपी प्रभावशाली है. केस प्रभावित कर सकता है. दिल्ली पुलिस ने कहा कि जांच अभी प्रारंभिक स्टेज पर हैं. जांच को प्रभावित किया जा सकता है, गवाहों से संपर्क किया जा सकता है. 6 लोगों से पूछताछ बाकी है इसमें क्रू मेबर और कुछ पैसेंजर हैं. आरोपी शंकर मिश्रा के वकील ने कहा कि हमने माफी भी मांगी,अपने अकाउंट से पीड़िता को पैसा भी भेजा जो बाद में वापस किया गया.
शिकायतकर्ता के वकील का कहना है कि जब वह व्यक्ति होश में आया तो उसने घटना के लिए माफी मांगी और एयर इंडिया के कर्मचारियों ने मध्यस्थता करने की कोशिश की. वकील ने कहा कि वे कह रहे हैं कि हम समझौते पर राजी हो गए हैं. यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है. शिकायतकर्ता के वकील ने कहा कि 354 की आईपीसी की धारा लगी है,ये प्रभावशाली है. इनके प्रभाव मे ही एयर इंडिया ने समय पर एक्शन नहीं लिया.शिकायतकर्ता के वकील ने कहा कि कोर्ट को यह जांच करनी है कि क्या एक अपराधी को जमानत दी जा सकती है जिसने पहले कहा कि उसने किया, इसके लिए माफी मांगी लेकिन बाद में मुकर गया. वह कह रहा है कि वह नशे में था. नशा कभी बचाव नहीं हो सकता. यह उनका मामला नहीं है कि उन्हें उनकी जानकारी के बिना शराब पिलाई गई. शिकायतकर्ता के वकील ने आगे कहा कि शंकर मिश्रा के प्रभाव के कारण एयर इंडिया ने मामला दर्ज नहीं करने का फैसला किया और बहुत समय गंवाया.
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