'धर्म के नाम पर देश बनाया तो जा सकता है, पर देश कायम नहीं रह सकता': गहलोत

अमर जवान ज्योति पर स्वर्णिम विजय दिवस कार्यक्रम (Golden Victory Day Program) को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा कि पाकिस्तान (Pakistan) देश का गठन धर्म के नाम पर हुआ लेकिन उसका दो देशों में बंटवारा हो गया और 1971 में नया देश बांग्लादेश बना जबकि वहां की आबादी मुस्लिम है.

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जयपुर:

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने धर्म के नाम पर की जा रही राजनीति पर चिंता जताते हुए गुरुवार को कहा कि धर्म के नाम पर राजनीति करना तो आसान है लेकिन जो ऐसा करते हैं उन्हें देश के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी धर्मों के लोगों को मिलजुल कर रहना चाहिए. जयपुर में अमर जवान ज्योति पर स्वर्णिम विजय दिवस कार्यक्रम (Golden Victory Day Program) को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा कि पाकिस्तान (Pakistan) देश का गठन धर्म के नाम पर हुआ लेकिन उसका दो देशों में बंटवारा हो गया और 1971 में नया देश बांग्लादेश बना जबकि वहां की आबादी मुस्लिम है.

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गहलोत ने बाद में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, 'धर्म के नाम पर देश बनाया तो जा सकता है, पर देश कायम नहीं रह सकता, ये उदाहरण हमारे सामने पाकिस्तान का है. पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान था, आज वो पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बन गया, अलग देश बन गया, टुकड़े हो गए उसके. उन्होंने कहा,' इस देश में धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों को ये समझ में आनी चाहिए कि एक धर्म के नाम पर राष्ट्र बन भी जाता है कोई, तो कायम रहता है क्या? पाकिस्तान तो कायम रहा नहीं, वहां दो ही भाषाएं थीं लगभग, यहां तो पता नहीं कितनी भाषाएं हैं.'

उन्होंने कहा,' तो 25 साल बाद, 50 साल बाद में इस देश का फ्यूचर मजबूत रहे, ये मुल्क एक रहे, अखंड रहे, हमारे संस्कार-संस्कृति दुनिया के अंदर पहचानी जाती है, सम्मान मिलता है उसको, इतनी महान संस्कृति हमारी है, हमारी परंपराएं हैं इस देश की हिंदुस्तान की, दुनिया लोहा मानती है, क्या हम उसको खत्म कर दें?'

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गहलोत ने आगे कहा, 'आज देश को लगता है कि ऐसा माहौल बन गया है, जिस प्रकार से शासन चल रहा है, धर्म के नाम पर बात की जाती है, हिंदुत्व की बात की जाती है, हिंदू राष्ट्र की बात की जाती है, क्या ये संभव है? देश का फ्यूचर क्या होगा, कोई सोच सकता है? क्या होगा, कोई नहीं कह सकता.'

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उन्होंने कहा,' इसलिए मैं ये कहना चाहूंगा कि इस हिंदुस्तान में जो भी लोग रहते हैं, विचारधारा अलग हो सकती है, हमारी कोई दुश्मनी किसी से नहीं है. कहने का मतलब यही है कि लड़ाई विचारधारा की होनी चाहिए लोकतंत्र में, पर ये व्यक्तिगत लड़ाई या ये धर्म के नाम पर राजनीति, जाति के नाम पर राजनीति खतरनाक होती है.'

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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