कोरोना की तीसरी लहर का अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा असर, व्यापारियों ने वित्त मंत्री से की राहत पैकेज की मांग

साल 2021-2022 में अर्थव्यवस्था (Economy) को कोरोना की दो लहरों से जूझना पड़ा है. अब उद्योग जगत और व्यापारियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Seetharaman) से इस साल के बजट में प्रभावित सेक्टरों को राहत देने के लिए स्टिमुलस पैकेज की मांग की है.

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फिक्की और सीआईआई ने वित्त मंत्री को सौंपे प्री-बजट मेमोरेंडम में इस बजट में सुझाव दिए है.

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस (Coronavirus) की तीसरी लहर का साया टूरिज्म, होटल, हॉस्पिटैलिटी और एविएशन सेक्टरों के साथ साथ छोटे व्यापारियों के कारोबार पर गहराता जा रहा है. साल 2021-2022 में अर्थव्यवस्था को कोरोना की दो लहरों से जूझना पड़ा है. अब उद्योग जगत और व्यापारियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण  से इस साल के बजट में प्रभावित सेक्टरों को राहत देने के लिए स्टिमुलस पैकेज की मांग की है. कोरोना की तीसरी लहर के दौरान दिल्ली समेत प्रभावित राज्यों में व्यापार पर लगने वाली पाबंदियों की वजह से अर्थव्यवस्था में सुधार की प्रक्रिया फिर धीमी पड़ती जा रही है.

अंतराष्ट्रीय संस्था ऑक्सफ़ोर्ड इकोनॉमिक्स ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर अपनी ताज़ा आकलन रिपोर्ट में  कोरोना की तीसरी लहर की वजह से 2022-23 की पहली तिमाही के लिए भारत के अनुमानित जीडीपी विकास दर को घटा दिया है. भारत में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी इसकी सबसे बड़ी वजह बताया है. हालांकि ऑक्सफ़ोर्ड इकोनॉमिक्स के आकलन के मुताबिक कोरोना की पहली दो लहरों के मुकाबले तीसरी लहर से आर्थिक नुक्सान कम होगा. 

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बताया जा रहा है इसका सबसे ज्यादा असर छोटे व्यापारियों पर पड़ रहा है. बजट पेश होने से पहले आई तीसरी लहर को देखते हुए व्यापारी संगठनों ने वित्त मंत्री से बजट  में राहत पैकेज की मांग की है. व्यापारी संगठन सीएआईटी (CAIT) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने एनडीटीवी से कहा "दिल्ली और दूसरे राज्यों में मैं व्यापार पर सीमा प्रतिबंध लगाने से 60% तक व्यापार कारोबार प्रभावित हुआ है. हम विट मंत्री से मांग करते हैं की वो बजट 2022 मुख्य व्यापारियों के लिए एक समर्थन पैकेज का ऐलान करें".
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गौरतलब है मौजूदा वित्तीय साल में उद्योग जगत को कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर से जूझना पड़ा. फिक्की (FICCI) और सीआईआई (CII) ने वित्त मंत्री को सौंपे प्री-बजट मेमोरेंडम में इस बजट में सुझाव दिए है.  उन सुझावों के आनुसार कमज़ोर पड़ी अर्थव्यवस्था को जल्दी पटरी पर लाने के लिए टीकाकरण की रफ़्तार तेज़ करनी होगी. अगले पांच साल GDP का 3% स्वास्थ्य के ढांचे पर खर्च हो. इसके आलावा शहरी इलाकों में बेरोज़गारी से निपटने के लिए गरीबों को MGNREGA के अधीन काम मिले और एमएसएमई को ज्यादा क़र्ज़ा दिया जाये, कर व्यवस्था में सुधार हो.  

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उद्योग संघ एसोचैम (ASSOCHAM) की नेशनल कमिटी ऑन डायरेक्ट टैक्सेज के चेयरमैन वेद जैन ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर में जो क्षेत्र प्रभावित हुए हैं उनको राहत पैकेज दिए बिना काम नहीं बनेगा. वेद जैन ने  NDTV से कहा, " कोरोना की लहर का एविएशन, टूरिज्म और होटल इंडस्ट्री पर जो असर पड़ा है उससे अर्थव्यवस्था में डिमांड पर असर पड़ेगा. इस वजह से बजट 2022 में वित्त मंत्री को सभी प्रभावित सेक्टरों के लिए एक स्टिमुलस पैकेज का ऐलान उन्हें करना पड़ेगा जैसा उन्होंने कोरोना की पहली लहर के दौरान 2020 में किया था".

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जाहिर है, उद्योग जगत की मांग है कि सबसे पहले स्ट्रेस्ड सेक्टर्स को आसान शर्तों पर ज्यादा क्रेडिट उपलब्ध करना जरूरी है जिससे वो अपने कारोबार को वापस पटरी पर ला सकें. उद्योग जगत को डर है की कोरोना की तीसरी लहर का असर अगर ज्यादा लम्बे समय तक रहा तो इसका असर पूरी अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर पड़ेगा और इस चुनौती से निपटने की तैयारी वित्त मंत्री को बजट 2022 में राहत पैकेज के ऐलान करना चाहिए.

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