छत्तीसगढ़ : निर्माण लागत बढ़ने से ठेकेदारों की मुसीबतें बढ़ीं, सरकारी ठेके लेने से कर रहे परहेज़

छत्तीसगढ़ कांट्रेक्टर एसोसिएशन अब सरकारी निर्माण निविदा में भाग नहीं ले रहा है. ठेकेदारों का कहना है सारे महकमों में आज भी 2015 की निर्माण दर लागू है. जबकि 7 सालों में निर्माण लागत दोगुनी हो गई है ..खासकर पिछले 6 महीने में. सरिया की निर्धारित दर 54000 रुपये टन है वहीं बाजार भाव 76000 रुपये से ऊपर  हो गया है.

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निर्माण कार्यो में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की कीमत में हुआ इजाफा
रायपुर:

छत्तीसगढ़ में निर्माण सामग्री की कीमत में वृद्धि होने से ठेकेदार परेशान है और सरकार से महंगाई से राहत दिलाने की आस लगाए हुए हैं. कॉन्ट्रेक्टर एसोसिएशन का कहना है निर्माण लागत बढ़ने से ठेकेदारों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है सरकार ठेकेदारों को वेरिएशन की राशि नहीं देती है तो छत्तीसगढ़ में निर्माण कार्य ठप करने की नौबत आ सकती है. रायपुर के शंकर नगर में रहने वाले एसपी तिवारी बीते 20 साल से ठेकेदारी करते हैं. उन्होंने पीडब्लूडी का 35 लाख का ठेका लिया था. वो कहते हैं निर्माण सामग्री महंगी होने से लागत 50 लाख के पार बैठ रही है ... काम से हाथ खड़ा करने की नौबत आन पड़ी है ...वहीं परिवार की अलग फिक्र लगी है.

छत्तीसगढ़ कांट्रेक्टर एसोसिएशन अब सरकारी निर्माण निविदा में भाग नहीं ले रहा है. ठेकेदारों का कहना है सारे महकमों में आज भी 2015 की निर्माण दर लागू है. जबकि 7 सालों में निर्माण लागत दोगुनी हो गई है ..खासकर पिछले 6 महीने में. सरिया की निर्धारित दर 54000 रुपये टन है वहीं बाजार भाव 76000 रुपये से ऊपर  हो गया है. सीमेंट जो 260 से 265 रुपये बोरी थी वो आज 320 से 340 रुपये की है. एलुमिनियम का निर्धारित रेट 290 रुपये है लेकिन बाजार भाव 600 रुपये हो चुका है. ईंट 2.70 पैसे की थी अब 3.20 पैसे हो गई है. रेत 8 से 10 रुपये वर्ग फ़ीट थी अब 15 रुपये वर्ग फ़ीट हो गई है. गिट्टी 11 से 14 रुपये वर्ग फ़ीट थी अब 19 से 22 रुपये वर्ग फ़ीट हो गई है.

सीमेंट जो 260 से 265 रुपये बोरी थी वो आज 320 से 340 रुपये के दाम पर पहुंच गई. बस्तर जैसे इलाकों में समस्या और भयावह है एक तो नक्सलियों का खतरा दूसरी महंगाई.  बस्तर के ठेकेदार बंटी सिंह भदौरिया ने कहा कि सरकारी कहती है हाथ बंधे हैं जितना कर सकते हैं कर दिया, वहीं विपक्ष महंगाई के लिये सरकार को कोस रहा है. कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि राज्य सरकार RES विभाग की निर्धारित दर revise कर चुकी है बाकी विभाग में विचाराधीन है. पेट्रोल डीजल महंगा होने से सभी की कीमत बढ़ी है. टेंडर की जो शर्ते रहती है उसके अनुसार ही निर्णय होगा एग्रीमेंट से बाहर कुछ नहीं हो सकता.

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पूर्व मंत्री केदार कश्यप, ने कहा कि सरकार को ठेकेदारों की समस्या पर ध्यान देना चाहिये, निर्माण सामग्री की महंगाई के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है. बहरहाल अगर महंगाई की वजह से काम बंद होता है तो प्रदेश के 12 हजार कांट्रेक्टर करीब डेढ़ लाख मजदूर की रोजी रोटी पर संकट बन आएगा .

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