एग्जिट पोल पर बहस से दूर रहने का कांग्रेस का फैसला चुनावी हार स्वीकार करने की 'स्पष्ट पुष्टि' : जेपी नड्डा

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक बयान में कहा, 'लोकसभा चुनाव का परिणाम 4 जून को आएगा. इससे पहले, हमें टीआरपी के लिए अटकलों और घमासान में लिप्त होने का कोई कारण नहीं दिखता है.'

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बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शुक्रवार को दावा किया कि टेलीविजन चैनलों पर एक्जिट पोल की बहसों में भाग नहीं लेने का कांग्रेस का फैसला 'स्पष्ट पुष्टि' है कि विपक्षी दल ने 2024 के लोकसभा चुनाव में हार मान ली है. नड्डा ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में मतदाताओं से आग्रह किया कि वे शनिवार को होने वाले सातवें और अंतिम चरण के मतदान में अपना वोट बर्बाद न करें क्योंकि कांग्रेस आमतौर पर तब खुद को दूर कर लेती है जब उसे अनुकूल परिणाम की उम्मीद नहीं होती है, लेकिन अगर उसे लगता है कि उसके पास थोड़ा भी मौका है तो वह हिचकिचाती नहीं है.

उन्होंने कहा, 'उनका पाखंड किसी पर हावी नहीं हुआ है. सातवें चरण में कोई भी उन पर अपना वोट बर्बाद न करे.'

नड्डा ने विपक्षी पार्टी पर तब निशाना साधा जब उसने समाचार चैनलों पर लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल की बहस में भाग नहीं लेने की घोषणा करते हुए कहा कि वह टीआरपी के लिए अटकलों और आरोप-प्रत्यारोप में शामिल नहीं होना चाहती है.

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक बयान में कहा, 'लोकसभा चुनाव का परिणाम 4 जून को आएगा. इससे पहले, हमें टीआरपी के लिए अटकलों और घमासान में लिप्त होने का कोई कारण नहीं दिखता है.'

नड्डा ने पलटवार करते हुए कहा, 'कांग्रेस का निर्णय इस बात की स्पष्ट पुष्टि है कि कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में हार मान ली है.'

उन्होंने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति कांग्रेस का विरोध अधिक चिंताजनक है, जिसमें 96 करोड़ से अधिक ‘‘आकांक्षाओं'' की भागीदारी देखी गई.

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नड्डा ने कहा, 'जब भारतीय अपना नेता चुन रहे हैं, जो नयी विश्व व्यवस्था में उनका नेतृत्व करेगा, उनके जीवन को बेहतर बनाएगा, उनके जीवन में समृद्धि और अवसर लाएगा तब कांग्रेस उस संस्थागत प्रक्रिया को कमजोर करने का काम कर रही है, जिस पर हमारे मजबूत लोकतंत्र की नींव टिकी है.'

उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, विपक्षी दल ने बार-बार उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और ऐसी मांगें कीं, ताकि अच्छी तरह से स्थापित चुनावी प्रक्रिया को 'नुकसान' पहुंचाया जा सके.

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उन्होंने कहा, ''कांग्रेस को जीतने पर न तो ईवीएम से शिकायत है और न ही चुनावी प्रक्रिया से. हिमाचल और तेलंगाना इसके ताजा उदाहरण हैं. लेकिन जब उसे हार दिखती है तो वह रोती है.'

नड्डा ने कहा कि न केवल कांग्रेस बल्कि इसका विस्तारित पारिस्थितिकी तंत्र जो भारत के हितों के खिलाफ है, वह भी हंगामा पैदा करने के लिए एक साथ आता है और लोकतांत्रिक संस्थानों और प्रक्रियाओं में लोगों के विश्वास को कमजोर करने का प्रयास करता है.

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उन्होंने आरोप लगाया, 'वे किसी को नहीं छोड़ते हैं. वे सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाते हैं, अपनी पसंद के आदेश नहीं देने वाले न्यायाधीशों पर हमला करते हैं और उन पत्रकारों पर हमला करते हैं जो उनके चीयरलीडर बनने से इनकार करते हैं, भारत के निर्वाचन आयोग को कलंकित करते हैं और डेटा और प्रक्रिया की अखंडता पर सवाल उठाते हैं.'

नड्डा ने कहा कि एग्जिट पोल का बहिष्कार करने का फैसला करके वे कई पेशेवर एजेंसियों पर सवाल खड़े कर रहे हैं, जिसके लिए कई सारे लोगों ने मेहनत की होगी.

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उन्होंने पूछा, 'क्या यह कांग्रेस की दलील है कि यह एक बड़ी साजिश है, जिसमें लाखों मतदाता शामिल हैं और इसका उद्देश्य अगले कुछ दिनों तक कांग्रेस का मजाक उड़ाना है, जब 4 जून को वास्तविक परिणाम आएगा?'

उन्होंने कहा कि भारत की सबसे पुरानी पार्टी को एक बच्चे की तरह व्यवहार करना शोभा नहीं देता है, जिसका खिलौना छीन लिया गया है. उन्होंने कहा कि विपक्ष के सबसे बड़े राजनीतिक दल से परिपक्वता की उम्मीद की जाती है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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