Gujarat bridge collapse: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)के गुजरात के मोरबी में ब्रिज ढहने के स्थान पर पहुंचने के पहले उस कंपनी का नाम-ओरेवा ग्रुप- जिसने इस ब्रिटिशकालीन पुल का नवीनीकरण किया है, को सफेद रंग की प्लास्टिक शीट से ढक दिया गया. इस हादसे में करीब 130 लोगों का जान गंवानी पड़ी थी. हादसे के दो दिन बाद पीएम की घटनास्थल की यात्रा को विपक्ष ने "ईवेंट मैनेजमेंट" करार दिया है. पीएम जिस स्थानीय अस्पताल में हादसे के घायलों से मिलने वाले हैं, उसकी रातोंरात पुताई कर दी गई और नए बेड और बेडशीट्स के साथ नया वार्ड स्थापित कर दिया गया है.
विपक्षी पार्टियों कांग्रेस और AAP ने राज्य में दो दशक से अधिक समय से सत्ता पर काबिज बीजेपी और पीएम मोदी से इस बात का जवाब मांगा है कि आखिरकार काम को प्रमाणित किए बिना समय से पहले पुल को फिर से कैसे शुरू कर दिया गया? सूत्रों ने बताया कि ओरेवा ग्रुप की ओर से कराए गए सात माह के नवीनीकरण काम के दौरान ब्रिज के कुछ पुराने केबल्स को नहीं बदला गया. यह ब्रिज नवीनीकरण कार्य के लिए मार्च माह से बंद था और इसे पिछले हफ्ते ही फिर से खोला गया. इसके 12 से 17 रुपये के टिकट बेचे गए लेकिन ब्रिज चार दिन बाद ही धराशायी हो गया.
सूत्रों ने NDTV को बताया कि कंपनी 2 करोड़ रुपये के ठेके के तहत 8 से 12 महीने तक पुल को रखरखाव और मरम्मत के लिए बंद रखने के लिए बाध्य थी. मामले में पुलिस ने अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें ज्यादातर कंपनी के कर्मचारी हैं. पुलिस ने एफआईआर में में कहा है कि ब्रिज को निर्धारित समय से पहले फिर से खोलना “गंभीर रूप से गैर जिम्मेदार और लापरवाहीपूर्ण व्यवहार” था. गुजरात स्थित ओरेवा पर कई सुरक्षा उल्लंघनों का आरोप लगाया गया है, लेकिन इसके किसी भी शीर्ष अधिकारी को गिरफ्तार नहीं किया गया है. पुल के समय-समय पर नवीनीकरण के लिए मोरबी नगरीय निकाय (Morbi civic body) के साथ 15 साल के करार पर हस्ताक्षर के तुरंत बाद, एक घड़ी निर्माता कंपनी के तौर पर सूचीबद्ध ओरेवा ने कथित तौर पर एक छोटी कंपनी को आउटसोर्स किया.
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