केंद्र ने कहा कि कमी वैश्विक कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण है.
दिल्ली सहित कई राज्यों द्वारा ब्लैकआउट की चिंताओं के बीच केंद्र सरकार ने कहा है कि बिजली संयंत्रों को प्रभावित करने वाली कोयले की भारी कमी को अगले कुछ दिनों में नियंत्रित किया जाएगा. केंद्र ने कहा कि कमी वैश्विक कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण है. देश के कई राज्यों में कोयले की कमी (Shortage of Coal) के चलते बिजली संकट (Electricity Problem) गहरा गया है. राज्यों के पास कोयले का बहुत कम स्टॉक बचा है. ऐसे में कोयला आधारित थर्मल पॉवर प्लांट के लिए आपूर्ति को सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती है. जिसके बाद ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of Power) हरकत में आया है.
- गुजरात, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और तमिलनाडु सहित कई राज्यों ने ब्लैकआउट को लेकर चिंता जताई है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में चेतावनी दी है कि अगर बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति में सुधार नहीं हुआ तो अगले दो दिनों में राष्ट्रीय राजधानी को "ब्लैकआउट" का सामना करना पड़ सकता है.
- थर्मल पावर प्लांटों में कोयले की भारी कमी के कारण पंजाब ने पहले ही कई जगहों पर रोटेशनल लोड शेडिंग लगा दी है. समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के एक अधिकारी ने हवाले से कहा कि संयंत्रों में पांच दिनों तक कोयले का भंडार बचा है.
- केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने रविवार को कहा, "कोयले की कमी को लेकर बेवजह दहशत पैदा की गई है" और यह गेल और टाटा के गलत कम्यूनिकेशन के कारण है. उन्होंने कहा कि देश के पास चार दिन का रिजर्व है. मंत्री ने कहा, "हमारे पास पर्याप्त बिजली उपलब्ध है..हम पूरे देश को बिजली की आपूर्ति कर रहे हैं. जो कोई चाहते हैं, मुझसे कहें, मैं उन्हें आपूर्ति करूंगा."
- उन्होंने कहा कि आपूर्ति, मानसून के दौरान नियमित रूप से गिरती है क्योंकि खदानों में बाढ़ आ जाती है, लेकिन विशेष रूप से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ मांग अधिक रहती है. अक्टूबर में, जैसे-जैसे मांग कम होगी, भंडार फिर से बढ़ने लगेगा. उन्होंने कहा, "पहले हमारे पास नवंबर से जून तक 17 दिनों का कोयला स्टॉक हुआ करता था."
- शनिवार को केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा था कि कोयले की अंतरराष्ट्रीय कीमत में बढ़ोतरी और भारी बारिश की वजह से इस साल देश में इसकी कमी में दर्ज की जा रही है. समाचार एजेंसी पीटीआई ने जोशी के हवाले से कहा, "अगर आप पिछले कई सालों से तुलना करें तो सितंबर और खासकर अक्टूबर में कोयले का उत्पादन और डिस्पैच सबसे ज्यादा रहा है. अगले तीन से चार दिनों में चीजें ठीक हो जाएंगी."
- कोयला मंत्रालय के नेतृत्व में एक अंतर-मंत्रालयी उप-समूह सप्ताह में दो बार कोयला स्टॉक की स्थिति की निगरानी कर रहा है, मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में कहा. मंत्रालय ने आश्वासन दिया है कि वे अगले तीन दिनों में प्रति दिन 1.6 मीट्रिक टन कोयला भेजने का प्रयास कर रहे हैं और इसे 1.7 मीट्रिक टन तक पहुंचने का प्रयास करेंगे.
- सरकार ने बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार में कमी के चार कारण सूचीबद्ध किए - अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के कारण बिजली की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि, कोयला खदान क्षेत्रों में भारी बारिश, आयातित कोयले की कीमत में वृद्धि और विरासत के मुद्दे और महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में कोयला कंपनियों का भारी बकाया.
- छत्तीसगढ़ ने कहा है कि वह यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि राज्य में आपूर्ति की कमी न हो. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, "हमारे अधिकारी राज्य में कोयले की आपूर्ति बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं. अधिकारी स्थिति की निगरानी कर रहे हैं. यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं कि आपूर्ति में कोई कमी न हो."
- दक्षिण में, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने स्थिति को "काफी खतरनाक" बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से "तत्काल व्यक्तिगत रूप से ध्यान" देने की मांग की है. मुख्यमंत्री ने कहा, "कोयले की कमी के कारण बिजली क्षेत्र को उथल-पुथल में धकेला जा रहा है."
- चीन में हाल ही उत्पन्न हुए बिजली संकट की वजह से वहां कई कारखानों में ताले लग गए थे. और अब दुनिया के दूसरे सबसे बड़े कोयला उपभोक्ता देश भारत में भी अगर हालात नहीं सुधरे तो वैसी ही स्थिति पैदा हो सकती है.
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