- जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में हिंदी में शपथ ग्रहण की है.
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.
- शपथ ग्रहण समारोह में छह देशों के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के जज शामिल हुए.
जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. खास बात यह रही कि उन्होंने शपथ हिंदी में ली. इस शपथ ग्रहण समारोह में भावनात्मक क्षण भी देखने को मिले. शपथ लेने के तुरंत बाद, उन्होंने अपने पूर्ववर्ती CJI जस्टिस बी.आर. गवई से गर्मजोशी से गले मिलकर अभिवादन किया.
इस बार का शपथ ग्रहण ऐतिहासिक रहा क्योंकि इसमें छह देशों- भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के जज शामिल हुए. यह पहली बार है कि किसी भारतीय CJI के शपथ ग्रहण में इतना बड़ा विदेशी न्यायिक प्रतिनिधिमंडल मौजूद रहा.
9 फरवरी 2027 तक रहेगा कार्यकाल
हरियाणा के हिसार जिले में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा. उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर किया और हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे. अपने करियर में उन्होंने कई अहम फैसलों में भूमिका निभाई है, जिनमें अनुच्छेद 370 निरस्तीकरण, पेगासस स्पाइवेयर जांच, राजद्रोह कानून को स्थगित करने का आदेश और बार एसोसिएशन में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीट आरक्षित करने का निर्देश शामिल है.
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हरियाणा के हिसार से ताल्लुक
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म हरियाणा के हिसार जिले के पेटवार गांव में 10 फरवरी 1962 को एक शिक्षक परिवार में हुआ था. बचपन में वो शहरी चकाचौंध से बहुत दूर रहे. उन्होंने पहली बार किसी शहर को तब देखा जब वे कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा देने के लिए हिसार के हांसी कस्बे में गए थे. उनकी आठवीं तक की पढ़ाई गांव के स्कूल में ही हुई. उस स्कूल में बेंच तक नहीं थीं.
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2019 में बने SC के जज
उन्होंने 1981 में हिसार के गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से ग्रेजुएशन और 1984 में रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की. उसी साल उन्होंने वकालत की शुरूआत हिसार की जिला अदालत से की. लेकिन 1985 में वो पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए चंडीगढ़ आ गए. जुलाई 2000 में उन्हें एडवोकेट जनरल बना दिया गया. वो हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल थे. उन्हें मार्च 2001 में सीनियर एडवोकेट बनाया गया. इसके बाद जनवरी 2004 में उन्हें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का स्थायी जज बनाया गया. उन्होंने पांच अक्टूबर 2018 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली थी. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से उन्हें 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया.
सुप्रीम कोर्ट में दिए प्रमुख फैसले
सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में जस्टिस सूर्यकांत ने करीब 80 फैसले लिखे. इसमें अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) से जुड़े 1967 के फैसले को खारिज कर दिया था, जिससे संस्थान के अल्पसंख्यक दर्जे पर पुनर्विचार का रास्ता खुल गया था. इनके अलाव नागरिकता अधिनियम की धारा-6ए को चुनौती देने वाली याचिका, दिल्ली की आबकारी नीति मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देने जैसे मामले शामिल हैं. वो 'पेगासस स्पाइवेयर' से जुड़े मामले की सुनवाई करने वाले पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने अवैध निगरानी के आरोपों की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों के एक पैनल का गठन किया था. अदालत ने कहा था कि राज्य को राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में मुफ्त पास नहीं मिल सकता है.













