सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने गुरुवार को केंद्र सरकार की उस मांग पर कड़ी नाराज़गी जताई, जिसमें उसने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट, 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया था. मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार जानबूझकर उनकी अध्यक्षता वाली पीठ से बचना चाह रही है, क्योंकि वह कुछ ही दिनों में सेवानिवृत्त होने वाले हैं. यह मामला शुक्रवार, 7 नवंबर को सुनवाई के लिए तय है. गुरुवार को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने मेंशनिंग के ज़रिए स्थगन का अनुरोध किया था.
"अदालत के साथ यह बहुत अनुचित"
मुख्य न्यायाधीश गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस विपुल एम. पंचोली की पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी पर इस देरी के लिए नाराजगी जाहिर की. CJI गवई ने कहा हमने आपको पहले ही दो बार समायोजित किया है. अब और कितनी बार? अगर आप चाहते हैं कि यह सुनवाई 24 नवंबर के बाद (मेरी रिटायरमेंट के बाद) हो, तो बता दीजिए. अदालत के साथ यह बहुत अनुचित है. हर बार आप अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का हवाला देकर स्थगन मांग लेते हैं. आपके पास वकीलों की पूरी टीम है और फिर आधी रात को बड़ी बेंच को रेफर करने की अर्जी दाखिल करते हैं.
CJI ने आगे कहा जब हम हाईकोर्ट में थे, अगर हमें यहां आना होता था तो अपने सारे ब्रीफ छोड़ देते थे. हमें सुप्रीम कोर्ट के प्रति सर्वोच्च सम्मान था. हमने कल के लिए कोई और मामला नहीं रखा था, ताकि यह सुनवाई कर सकें और सप्ताहांत में फैसला लिख सकें. पीठ ने वरिष्ठ वकील अरविंद दातार से कहा कि वे शुक्रवार को अपनी दलीलें जारी रखें. दातार इस मामले में मद्रास बार एसोसिएशन की ओर से पेश हो रहे हैं.
CJI ने कहा अटॉर्नी जनरल सोमवार को अपनी दलीलें रख सकते हैं, लेकिन अगर वे नहीं आए तो हम मामला बंद कर देंगे. इससे पहले 3 नवंबर को भी CJI गवई ने टिप्पणी की थी कि केंद्र सरकार नहीं चाहती कि यह मामला उनकी पीठ तय करे.
पिछली सुनवाई में अटॉर्नी जनरल ने आपत्ति उठाई थी कि मामला बड़ी पीठ को भेजा जाना चाहिए. इस पर CJI ने कहा था कि पिछली तारीख पर आपने यह आपत्ति नहीं उठाई थी, बल्कि निजी कारणों से स्थगन मांगा था. अब जब हमने एक पक्ष की दलील पूरी सुन ली है, तो आप आपत्ति नहीं उठा सकते. CJI ने सख्त लहजे में कहा था कि अगर हम आपकी यह अर्जी खारिज करते हैं, तो यह दर्ज करेंगे कि केंद्र सरकार इस बेंच से बचने की कोशिश कर रही है. हम अब यह सब नहीं सुनेंगे, जब एक पक्ष की पूरी दलीलें सुन ली गई हैं.
जस्टिस चंद्रन ने भी सहमति जताते हुए कहा था कि यह आपत्ति पहले उठाई जानी चाहिए थी. अंत में CJI ने कहा था कि हम उम्मीद नहीं करते कि केंद्र सरकार इस तरह की रणनीति अपनाए. हमने पहले ही अटॉर्नी जनरल को व्यक्तिगत कारणों से स्थगन दिया था.














