फैसला व्यक्तिगत नहीं होता, कोई पछतावा नहीं, समलैंगिक विवाह संबंधी फैसले पर : CJI डी. वाई. चंद्रचूड़

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘एक बात जो हमारा प्रशिक्षण हमें सिखाता है वह यह है कि एक बार जब आप किसी मामले में फैसला सुना देते हैं, तो आप परिणाम से खुद को दूर कर लेते हैं."

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नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय में समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने संबंधी याचिकाओं के सफल न होने के मुद्दे पर प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा कि किसी मामले का परिणाम किसी न्यायाधीश के लिए व्यक्तिगत नहीं होता और उन्हें इस बारे में कोई पछतावा नहीं है. देश के 50वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने पीटीआई-भाषा के साथ एक विशेष साक्षात्कार में स्वीकार किया कि समलैंगिक जोड़ों ने अपने अधिकारों की प्राप्ति के लिए 'लंबी और कठिन लड़ाई' लड़ी, लेकिन न्यायाधीश खुद को किसी मुद्दे से नहीं जोड़ते हैं, और अब मामले का फैसला हो चुका है, इसलिए उन्होंने इसे वहीं छोड़ दिया है.

उन्होंने कहा, 'मैं इसे हमारे समाज के भविष्य पर छोड़ता हूं कि वह कौन सा रास्ता अपनाएगा.' उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 17 अक्टूबर को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था, लेकिन समलैंगिक लोगों के लिए समान अधिकारों की वकालत की थी. सभी न्यायाधीश इस बात पर एकमत थे कि ऐसे मुद्दे पर कानून में बदलाव करना संसद के दायरे में है, लेकिन अल्पमत में सीजेआई चंद्रचूड़ और हाल में सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति एस. के. कौल ने समान-लिंग वाले जोड़ों के अधिकार को मान्यता दी थी.

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘एक बात जो हमारा प्रशिक्षण हमें सिखाता है वह यह है कि एक बार जब आप किसी मामले में फैसला सुना देते हैं, तो आप परिणाम से खुद को दूर कर लेते हैं. इस अर्थ में, परिणाम कभी भी किसी न्यायाधीश के लिए व्यक्तिगत नहीं होते हैं. आप किसी मामले का फैसला संविधान के अपने दृष्टिकोण के आधार पर करते हैं, आप भविष्य के लिए एक न्यायपूर्ण समाज के दृष्टिकोण को संवैधानिक दृष्टि से क्या मानते हैं, मैंने यही किया है.''

उन्होंने कहा, 'मुझे कभी कोई पछतावा नहीं है. हां, मैं कई मामलों में बहुमत में रहा हूं और कई मामलों में मैं अल्पमत में रहा हूं. लेकिन एक न्यायाधीश के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा कभी भी खुद को किसी कारण से नहीं जोड़ना है. आप वास्तव में तभी निष्पक्ष हो सकते हैं, जब आप फैसला सुनाए जाने के बाद खुद को किसी मुद्दे से नहीं जोड़ते हैं.'' वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या उन्हें फैसला सुनाने पर कोई पछतावा है. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, 'किसी मामले का फैसला करने के बाद, मैं इसे वहीं छोड़ देता हूं. और मैं इसे हमारे समाज के भविष्य पर छोड़ता हूं कि समाज को क्या रास्ता अपनाना चाहिए.'

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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