"जब हम जज नहीं रहते हैं तब हमारी बात महज राय...": रंजन गोगोई के बयान पर बोले सीजेआई

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अबकर लोन की ओर से शीर्ष अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने उच्च सदन में दिये न्यायमूर्ति गोगोई के बयान का जिक्र किया.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को कहा कि न्यायाधीश के पद से हटने के बाद वे जो कुछ भी कहते हैं वह सिर्फ राय होती है और बाध्यकारी नहीं होती है. संविधान के मूल ढांचे के सिद्धांत पर पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की टिप्पणी का उच्चतम न्यायालय में जिक्र किये जाने के बाद प्रधान न्यायाधीश का यह बयान आया है. सोमवार को, राज्यसभा के मनोनीत सदस्य गोगोई ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा में भाग लेते हुए राज्यसभा में कहा, 'केशवानंद भारती मामले पर पूर्व सॉलिसिटर जनरल (टीआर) अंध्यारुजिना की एक किताब है.'

उन्होंने कहा, “ पुस्तक पढ़ने के बाद, मेरा विचार है कि संविधान के मूल ढांचे के सिद्धांत का एक चर्चा किए जाने योग्य न्यायशास्त्रीय आधार है. इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कहूंगा.” साल 1973 में केशवानंद भारती मामले में दिए ऐतिहासिक फैसले में शीर्ष अदालत ने संविधान के मूल ढांचे का सिद्धांत दिया था और कहा था कि लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद और कानून के शासन जैसी कुछ मौलिक विशेषताओं में संसद संशोधन नहीं कर सकती है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अबकर लोन की ओर से शीर्ष अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने उच्च सदन में दिये न्यायमूर्ति गोगोई के बयान का जिक्र किया. अकबर ने जम्मू-कश्मीर को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत प्राप्त विशेष दर्जा को निरस्त किए जाने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है. सिब्बल ने दलील दी कि जिस तरह से केंद्र ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द किया है वह किसी भी तरह से तक तक न्यायोचित नहीं है जबतक कि कोई नया न्यायशास्त्र नहीं लाया जाता, ताकि वे (केंद्र) अपने पास बहुमत रहने तक जो चाहें कर सकें.

Advertisement

उन्होंने कहा, 'अब आपके एक सम्मानित सहयोगी ने कहा है कि वास्तव में बुनियादी ढांचे का सिद्धांत भी संदिग्ध है.' सिब्बल की दलील पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “ श्री सिब्बल, जब आप किसी सहकर्मी का जिक्र करते हैं, तो आपको मौजूदा सहकर्मी का जिक्र करना होगा. जब हम न्यायाधीश के पद से हट जाते हैं तब हम जो भी कहते हैं, वे केवल राय होती है और बाध्यकारी नहीं होती है.'

Advertisement

केंद्र की ओर से अनुच्छेद 370 के मामले पर अदालत में पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दखल देते हुए कहा कि संसद की कार्यवाही की चर्चा अदालत में नहीं की जा सकती है जैसे अदालत की कार्यवाही की चर्चा संसद में नहीं की जाती है. उन्होंने कहा, “ श्री सिब्बल यहां भाषण दे रहे हैं, क्योंकि वह कल संसद में नहीं थे. उन्हें संसद में जवाब देना चाहिए था.”

Advertisement

सिब्बल राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य हैं. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने इस साल जनवरी में मूल ढांचे के सिद्धांत को ध्रुवतारा के समान करार दिया था, जो आगे का मार्ग जटिल होने पर मार्गदर्शन करता है और संविधान की व्याख्या तथा कार्यान्वयन करने वालों को एक निश्चित दिशा दिखाता है.

Advertisement

ये भी पढ़ें : पीएम मोदी के नेतृत्व में त्रिस्तरीय पंचायती राज का सबलीकरण हुआ : जेपी नड्डा

ये भी पढ़ें : चंडीगढ़ प्रशासन ने दिल्ली की यात्रा करने वाले अधिकारियों के हवाई सफर व होटल में ठहरने पर लगाई रोक

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Canada BREAKING: Justin Trudeau का झूठ बेनकाब, Nijjar हत्याकांड में India का Connection नहीं- Report