देश में अगले सीबीआई प्रमुख के लिए 3 नाम पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले समूह ने चयनित कर लिए हैं. हालांकि कांग्रेस ने चयन प्रक्रिया को लेकर विरोध दर्ज कराया है. देश का नया सीबीआई निदेशक चुनने के लिए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के निवास पर बैठक हुई, इस चयन समिति में चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना (CJI NV Ramana) और लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी भी शामिल थे. समिति को चार वरिष्ठतम बैचों (1984-87) के आईपीएस अधिकारियों में से किसी एक को अगला सीबीआई प्रमुख चुनना है.करीब चार माह की देर के बाद यह बैठक आयोजित हुई है.
अधीर रंजन चौधरी ने विरोध पत्र में चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने CBI chief के लिए उम्मीदवारों के चयन में लापरवाही भरा दिखाया. चौधरी ने कहा कि 11 मई को 109 नाम भेजे गए थे और आज 1 बजे 10 नाम छांट लिए गए. चार बजे तक 6 नाम इसमें से छांट लिए गए. कार्मिक विभाग की यह रुख बेहद आपत्तिजनक है.
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सीबीआई प्रमुख की दौड़ में मुख्य रूप से असम-मेघालय कैडर के 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी और NIA के महानिदेशक वायसी मोदी, गुजरात कैडर के बीएसएफ के डीजी राकेश अस्थाना और हरियाणा कैडर के आईटीबीपी के डीजी एसएस देसवाल शामिल हैं. इसके अलावा यूपी के डीजीपी एससी अवस्थी, केरल के डीजीपी लोकनाथ बेहरा, रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के डीजी अरुण कुमार और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के डीजी एसके जायसवाल भी दावेदारी में हैं. कमेटी कुल मिलाकर 1984-87 बैच के 100 अधिकारियों के नामों पर विचार किया जाएगा.
नियम कहते हैं कि कमेटी वरिष्ठता, ईमानदारी और भ्रष्टाचार निरोधक केसों की जांच के अनुभव के आधार वरिष्ठतम बैचों के आईपीएम अधिकारियों में से सीबीआई डायरेक्टर का चयन करेगी. सीबीआई डायरेक्टर के तौर पर चुना गया अफसर, पदभार ग्रहण करने के बाद कम से कम दो साल की अवधि तक इस जांच एजेंसी का कार्यभार संभालेगा. दो साल की अवधि पूरा करने के बाद आरके शुक्ला इस साल फरवरी में सीबीआई डायरेक्टर पद से रिटायर हुए थे. सीबीआई के एडीशनल डायरेक्टर प्रवीण सिन्हा पूर्णकालिक नियुक्ति होने तक फिलहाल सीबीआई के प्रमुख का कार्य संभाल रहे हैं.