अपने दिवंगत पिता रामविलास पासवान को राष्ट्रीय राजधानी में आवंटित बंगला ‘12 जनपथ' से बेदखल किये गये जाने के बाद लोकसभा सांसद चिराग पासवान ने कहा कि जो चीज सरकारी है, उसके साथ किसी तरीके का मोह रखना गलत है. मुझे मेरा सौभाग्य था कि मुझे इतने समय तक उस घर में रहने का अवसर मिला. उस घर में मेरे पिताजी ने न सिर्फ राजनीतिक जीवन की एक लंबी पारी खेली, बल्कि सामाजिक न्याय की वह जन्म भूमि रही है. उसी घर में पापा ने पार्टी बनाई थी. उसी घर में ऊंची जाति के जो गरीब थे, उनको आरक्षण देने की सोच रखी गई थी. जब लॉकडाउन लगा था और पापा उस घर में तस्वीरें देखते थे कि मजदूर जा रहे हैं, उनको इस बात की चिंता सताती थी कि वह खाना कैसे खाएंगे.
चिराग ने कहा कि घर का मुझे कोई दिक्कत नहीं है. आज नहीं तो कल ये घर मुझे खाली करना ही था. जो घर खाली करवाने का तरीका था, मुझे उस तरीके से दिक्कत है. घर खाली करवाते समय मेरे पिताजी की तस्वीरों को फेंका गया. घर के कोने-कोने में जिन महापुरुषों की तस्वीरें लगी थीं, उन्हें जिस तरीके से सड़क पर फेंका गया, मुझे उससे दिक्कत है.
मेरे साथ धोखा हुआ है. क्योंकि मैं 29 तारीख की रात में घर को खाली करने के लिए तैयार था. मुझे नहीं पता, क्यों मुझे बुला के वादा किया गया? क्यों केंद्रीय मंत्री के फोन आए? क्यों मुझे रोका गया? यह अलग राजनीतिक चर्चा का विषय है. मुकेश सहनी के साथ जिस तरीके से बिहार में हुआ, वह दुखद है. बीजेपी के साथ चलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं पिछले डेढ़ साल से अपनी राह पर हूं. गठबधंन विचारों से होता है और सम्मान से होता है.
चिराग आगे क्या करेंगे? के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं जो कर रहा था, वही करूंगा. मुझे मेरी ही पार्टी से निकाल बाहर फेंका गया. अब तो मुझे मेरे घर से भी निकाल के बाहर फेंका गया. सोच सब की यही होती है कि चिराग को तोड़ना है. मैं बार-बार इस बात को कहता हूं, मैं शेर का बेटा हूं. रामविलास पासवान का बेटा हूं, इन परिस्थितियों से न मैं डरने वाला हूं और न मैं झुकने वाला. मुझे पापा के सपने को धरातल पर उतारना है. विकसित बिहार बनाने का जो मेरा संकल्प है, उसके लिए करता रहूंगा.
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