'नौ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की नियुक्ति एक-दो दिनों में हो जाएगी', राष्ट्रपति के सामने बोले CJI 

सीजेआई ने कहा कि हमारे जटिल सामाजिक ताने बाने में नौकरी जाना, बेरोजगारी जैसे कई मामलों में त्वरित न्याय सेवा जरूरी है. उन्होंने कहा कि कोविड ने भी न्यायपालिका सहित कई संस्थानों के लिए मुश्किलें और चुनौतियां खड़ी कीं लेकिन हमने इसी बीच जजों के खाली पदों के लिए 100 से ज्यादा सिफारिशें की, जिसे सरकार ने फौरन मानी.

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जस्टिस रमना ने कहा कि खाली पदों पर त्वरित नियुक्तियों से सबको न्याय मिलने की राह आसान होगी.
नई दिल्ली:

देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने कहा है कि सरकार ने वादा किया है कि 9 हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की नियुक्ति से जुड़ी कॉलेजियम की सिफारिशों पर एक या दो दिनो में फैसला हो जाएगा.  इसके अलावा हाईकोर्ट में  106 जजों की नियुक्ति या ट्रांसफर की सिफारिशों को भी सरकार जल्दी मंजूर देगी. सीजेआई ने कहा कि इससे लोगों को शीघ्र न्याय देने में आसानी होगी.

नेशनल लीगल सर्विेजेस अथॉरिटी (NALSA) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए CJI एनवी रमना, जो राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के संरक्षक भी हैं, ने कहा कि महात्मा गांधी की शिक्षा और आचरण दशकों से पीढ़ियों को राह दिखा रहे हैं. गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कविता उद्धृत करने के बाद जस्टिस रमना ने कहा कि सबको न्याय मिलने की राह आसान हो, ऐसा महात्मा गांधी जी के विचार और कामना थी. 

उन्होंने कहा कि समता और न्याय पाने के समान और आसान अवसर एक दूसरे के पूरक हैं. सीजेआई ने कहा कि हमारे जटिल सामाजिक ताने बाने में नौकरी जाना, बेरोजगारी जैसे कई मामलों में त्वरित न्याय सेवा जरूरी है. उन्होंने कहा कि कोविड ने भी न्यायपालिका सहित कई संस्थानों के लिए मुश्किलें और चुनौतियां खड़ी कीं लेकिन हमने इसी बीच जजों के खाली पदों के लिए 100 से ज्यादा सिफारिशें की, जिसे सरकार ने फौरन मानी. उन्होंने कहा, "आगे भी हमें एकसाथ तालमेल के साथ काम आगे बढ़ते जाने की उम्मीद है. हमें आजादी के अमृत महोत्सव के साथ और भी सही रफ्तार के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है."

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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि अब नालसा और पूरा विधिक समाज हरेक नागरिक को उसके अधिकार और अपनी सेवाओं के बारे में जागरूक कर रहा है. अब क्षेत्रीय भाषाओं तक सामग्री पहुंच रही है. बुजुर्ग लोग, महिलाएं, गरीब और अनपढ़ या कम पढ़े लिखे लोग या फिर समाज के बेहद पिछड़े तबके तक पैरा लीगल और विधि छात्रों और वकीलों के साथ विधिक सेवाओं की पैठ बढ़ रही है.

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राष्ट्रपति ने कहा कि युवा छात्रों ने देश के भविष्य संवारने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले रखी हैं.  उन्होंने कहा कि जब देश 2047 में आजादी की स्वर्ण जयंती मनाएगा तब पीढियां उसे देखेंगी, सराहेंगी.

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NALSA के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस उदय उमेश ललित ने कहा कि बार के सभी सदस्यों का साथ चाहिए कि वो साल में कम से कम तीन मुकदमें इस नालसा के साथ मिलकर गरीबों और जरूरतमंदों के लिए लड़ें. उन्होंने कहा कि लॉ कॉलेज के विधिक छात्र भी लीगल एड की जागरूकता के लिए आगे आएं. उन्होंने कहा कि ऐसे छात्र अभी भी आगे आ भी रहे हैं लेकिन जरूरत और बड़े स्तर पर है. उन्होंने कहा कि महीने में कम से कम तीन बार हरेक गांव में विधिक सेवा के प्रति जागरूकता कार्यक्रम होने चाहिए. मशीनरी मजबूत हो ये जरूरी है लेकिन उसका सही उपयोग तभी होगा जब लोग इसके प्रति जागृत होंगे.

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