'जजों पर निजी हमले न हों, उन्हें आजादी से काम करने दें' : NDTV से भावी CJI

उन्होंने कहा कि मुकदमों का मीडिया ट्रायल बंद होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अदालती आदेशों की स्वस्थ आलोचना का हमेशा स्वागत है. लेकिन इसके तहत जजों पर निजी हमले नहीं होने चाहिए बल्कि जजों को आजादी से काम करने देना चाहिए.

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भावी सीजेआई यूयू ललित ने एनडीटीवी से की खास बात....

देश के भावी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस उदय उमेश ललित कहा है कि न्याय पाना देश के हर नागरिक का अधिकार है और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अमीर-गरीब का फर्क दूर होना चाहिए. NDTV इंडिया से बात करते हुए जस्टिस ललित ने कहा कि देश की जेलों में बंद विचाराधीन कैदी चिंता का विषय हैं और इस समस्या से जल्द से जल्द निपटना होगा. उन्होंने कहा कि  देश की जेलों में 90 फीसदी लोग विचाराधीन कैदी हैं और दस फीसदी सजायाफ्ता और इन विचाराधीन कैदियों में सिर्फ 30 फीसदी को ही सजा होती है यानि 70 फीसदी लोगों को सजा नहीं होती.

जस्टिस  ललित ने कहा कि मुकदमों का मीडिया ट्रायल बंद होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अदालती आदेशों की स्वस्थ आलोचना का हमेशा स्वागत है. लेकिन इसके तहत जजों पर निजी हमले नहीं होने चाहिए बल्कि जजों को आजादी से काम करने देना चाहिए. सरकार का अदालतों पर कोई दबाव नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि जजों की कार्यशैली पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर जज सही ढंग से  काम करें तो किसी का दबाव आ ही नहीं सकता. उन्होंने कहा कि जज केस के तथ्यों पर फैसला देते हैं और उन्हें भावनाओं पर ध्यान नहीं देना चाहिए. जस्टिस ललित कहते हैं कि अदालतें समुदाय जात-पात देखकर फैसला नहीं देतीं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश जजों के विवेक के तहत होते हैं और हर जज अपने हिसाब से फैसला लेते हैं.

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जस्टिस ललित ने यह माना कि जजों के रिटायर होने की उम्र 65 साल ही ठीक है, क्योंकि इसके बाद जजों को तनाव और काम में बीमारियां घेरती हैं. उन्होंने दिलचस्प बात बताई कि सुप्रीम कोर्ट में चलने वाली CGHS डिस्पेंसरी के डॉक्टर जजों की सेहत का ध्यान रखते हैं. यहां डॉ श्यामा गुप्ता करीब 20 सालों से जजों की सेहत की निगरानी करती आई हैं. उन्होंने एक बार बताया कि जब जज सुप्रीम कोर्ट में काम करना शुरू करते हैं तो उनको कम बीमारी होती है, लेकिन जब वो रिटायर होते हैं तो कई और भी बीमारियां उनको जकड़ चुकी होती हैं. ये पूछने पर कि उनको अदालत में काम करते हुए कभी गुस्सा होते या नाराज होते नहीं देखा तो उनका कहना था कि जजों को सिर्फ केस के तथ्यों पर ही रहना चाहिए. कर्मयोगी होना चाहिए और केस पर ही रहना चाहिए. ऐसे में अपने काम को अच्छे ढंग से किया जाएगा और परेशानी भी नहीं होगी.

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बता दें कि  देश के 49 वें CJI होंगे जस्टिस ललित. वह 27 अगस्त को शपथ लेंगे. उनका कार्यकाल महज 74 दिनों का  होगा. सीजेआई के रूप में जस्टिस ललित उस कॉलेजियम का नेतृत्व करेंगे, जिसमें जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस इंदिरा बनर्जी शामिल होंगे. जस्टिस  बनर्जी के 23 सितंबर को सेवानिवृत्त होने के साथ ही जस्टिस  केएम जोसेफ कॉलेजियम में प्रवेश करेंगे. जस्टिस ललित 8 नवंबर को CJI के रूप में सेवानिवृत्त होंगे. इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़  50वें CJI के तौर पर नियुक्त होंगे. CJI एन वी रमना 26 अगस्त को रिटायर होंगे.

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