'स्पीड बरकरार रहे', CJI ने मंच पर ही हाई कोर्ट जजों के लिए कानून मंत्री से किया अनुरोध

चीफ जस्टिस एनवी रमना ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सदस्य साथी जजों की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी सक्रियता और सकारात्मकता के लिए उन्हें हार्दिक धन्यवाद देता हूं क्योंकि सबके सहयोग से ही हम तेजी से विभिन्न उच्च अदालतों में बड़ी तादाद में खाली हुए जजों के पदों पर नियुक्ति की ओर बढ़ रहे हैं. 

विज्ञापन
Read Time: 16 mins
CJI ने कहा कि देशभर की अदालतों में ढांचागत सुविधाओं की बाबत विस्तृत रिपोर्ट जल्द सौंपी जाएगी.
नई दिल्ली:

भारत के मुख्य न्यायाधीश ( CJI) जस्टिस नुथलापति वेंकट रमना (Justice NV Ramana) ने केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू (Kiren Rijiju) की मौजूदगी में कहा कि जिस स्पीड से सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 9 जजों की नियुक्ति के लिए कदम उठाए हैं, उसके लिए कानून मंत्री और पीएम का शुक्रिया अदा करता हूं. साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि सरकार कॉलेजियम द्वारा भेजी गई एक दर्जन हाई कोर्ट के लिए 68 जजों की सिफारिशों के लिए भी इसी तेजी से कदम उठाएगी.

उन्होंने कहा कि देश भर की अदालतों में ढांचागत सुविधाओं की बाबत विस्तृत रिपोर्ट अगले हफ्ते कानून मंत्रालय को सौप दी जाएगी. चीफ जस्टिस ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित अभिनंदन समारोह में कहा कि जिला और सत्र न्यायालयों को और सक्षम बनाने के मकसद से तैयार की गई विशेषज्ञों की रिपोर्ट में सुझाए गए उपाय काफी कारगर होंगे.

चीफ जस्टिस एनवी रमना ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सदस्य साथी जजों की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी सक्रियता और सकारात्मकता के लिए उन्हें हार्दिक धन्यवाद देता हूं क्योंकि सबके सहयोग से ही हम तेजी से विभिन्न उच्च अदालतों में बड़ी तादाद में खाली हुए जजों के पदों पर नियुक्ति की ओर बढ़ रहे हैं. 

उन्होंने कहा, "कानूनी पेशे को अक्सर एक अमीर आदमी के पेशे के रूप में देखा जाता है लेकिन धीरे-धीरे स्थिति बदल रही है. अवसर खुल रहे हैं." उन्होंने कहा कि कानूनी पेशा अभी भी मुख्य रूप से एक शहरी पेशा है. एक मुद्दा यह है कि पेशे में स्थिरता की गारंटी कोई नहीं दे सकता. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका और कानूनी बिरादरी में महिलाओं की कमी है.

CJI ने कहा, "मुझे यह स्वीकार करना होगा कि बड़ी मुश्किल से हमने सुप्रीम कोर्ट में  केवल 11% महिलाओं का प्रतिनिधित्व हासिल किया है." उन्होंने कहा कि भारत में लाखों लोग कोर्ट जाने में असमर्थ हैं. पैसे की कमी और समय की देरी एक बड़ी चुनौती है. जस्टिस रमना ने कहा, "यह मेरा कर्तव्य है कि मैं आपके सामने कठोर तथ्य लाऊं. जजों की भारी कमी है. न्यायालयों में बुनियादी ढांचे की कमी है. अपने हाईकोर्ट के दिनों में मैंने देखा है कि महिलाओं को शौचालय की सुविधा तक नहीं मिलती है. महिला वकीलों को परेशानी होती है." उन्होंने कहा, "जब मैं जज था तो मैंने चीजों को बदलने और संसाधनों में सुधार करने की कोशिश की थी."
 

Advertisement

- - ये भी पढ़ें - -
* 'कितनों को दिलवाई सजा, कितने मामले लंबित? पेश करें डेटा', CBI की कार्यशैली पर सुप्रीम कोर्ट नाराज
* सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बनाया एक और रिकॉर्ड, 12 हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए 68 नामों की सिफारिश

Advertisement
Featured Video Of The Day
PM Modi को मिला Kuwait का सर्वोच्च सम्मान, जानिए दोनों देशों के बीच क्या अहम समझौते हुए?