छावला गैंगरेप मामले में दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है. दिल्ली पुलिस ने तीनों दोषियों को बरी करने के आदेश पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि मेडिकल सबूत आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं. अभियोजन पक्ष के पास उपलब्ध साक्ष्य ऐसे अपराध को जघन्य अपराधों की उच्चतम श्रेणी में रखते हैं और वर्तमान मामले में परिस्थितिजन्य साक्ष्य इतने अकाट्य हैं कि यह उचित संदेह के लिए कोई आधार नहीं छोड़ते हैं. इसमें सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पीठ के 7 नवंबर को दिए गए उस फैसले पर पुनर्विचार की गुहार लगाई गई है जिसमें मेडिकल और वैज्ञानिक रिपोर्ट में गड़बड़ को आधार बनाकर सबसे अदालत ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के सजा ए मौत का फैसला पलटते हुए दोषियों को बरी कर दिया था.
छावला मामले में फैसले पर पुनर्विचार के लिए बुधवार को दो याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई हैं. इन दोनों याचिकाओं के साथ ही इस मामले में पुनर्विचार के लिए चार याचिकाएं दाखिल हो गई हैं. इस एक महीने में पहली याचिका तो उत्तराखंड बचाओ मूवमेंट नामक संगठन ने दाखिल की. फिर पीड़ित परिवार ने अर्जी लगाई और अब सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना ने भी दोषियों की रिहाई के फैसले पर फिर से विचार करने की गुहार लगाई है.