छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम घोटाला: SC ने दोनों पक्षों को दी सील कवर में रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति

राज्य सरकार की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा फिर हम भी सील कवर में कुछ सामग्री दाखिल करेंगे. हम इस मामले में और दस्तावेज देंगे.

विज्ञापन
Read Time: 7 mins
सुप्रीम कोर्ट 26 सितंबर को तय करेगा कि सील कवर के दस्तावेजों पर सुनवाई की जाए या नहीं.
नई दिल्ली:

साल 2015 के छत्तीसगढ़ के नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सील कवर में रिपोर्ट देने का छत्तीसगढ़ सरकार ने विरोध किया और अब छत्तीसगढ़ सरकार भी सील कवर में दस्तावेज दाखिल करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को 22 सितंबर को लिखित दलीलें देने को कहा है. वहीं सुप्रीम कोर्ट 26 सितंबर को तय करेगा कि सील कवर के दस्तावेजों पर सुनवाई की जाए या नहीं. ED की ओर से एसजी तुषार मेहता ने कहा मैंने सीलबंद लिफाफे में सामग्री दी है. इसमें हाईकोर्ट के जज आरोपी से बात कर रहे हैं. क्या यह अदालत चाहती है कि यह सबके सामने आए? हमें कोई परेशानी नहीं है. इस मामले में 70 गवाह मुकर चुके हैं. साल भर से बार-बार आग्रह कर चुके हैं. लेकिन हमारी याचिका पर सुनवाई नहीं की गई. वहीं आरोपी की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा क्यों नहीं? कोई जज कानून से ऊपर नहीं है.  राज्य सरकार की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा फिर हम भी सील कवर में कुछ सामग्री दाखिल करेंगे. हम इस मामले में और दस्तावेज देंगे.

ये भी पढ़ें-  मृत्युदंड पर लोअर कोर्ट्स को निर्देश देने का मामला, SC में अब 5 जजों की संविधान पीठ करेगी सुनवाई

 छत्तीसगढ़ के नागरिक आपूर्ति निगम घोटाला मामले में ED ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की थी और मामले को छत्तीसगढ़ से बाहर ट्रांसफर करने की भी मांग की थी.  मामला आरोपी अफसरों डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा की अग्रिम जमानत रद्द करने से जुड़ा है. ED घोटाले के दोनों आरोपियों डॉ आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को रिमांड पर लेकर पूछताछ करना चाहती है. 2015 में राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में 36,000 करोड़ रुपए का कथित घोटाला सामने आया था. इसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा यानी EOW और एंटी करप्शन ब्यूरो ने 12 फरवरी 2015 को नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के 28 ठिकानों पर एक साथ छापा मारा था. इस कार्रवाई में करोड़ों रुपये बरामद किए गए थे. इसके अलावा भ्रष्टाचार से संबंधित कई दस्तावेज, हार्ड डिस्क और डायरी जब्त हुई थी. 

इसी मामले में आरोपी बनाए गए लोगों में खाद्य विभाग के तत्कालीन सचिव डॉ. आलोक शुक्ला और नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक अनिल टुटेजा भी हैं. EOW ने 15 जुलाई, 2015 को चार्जशीट दाखिल की थी जिसमें नागरिक आपूर्ति निगम के तीन अफसरों गिरीश शर्मा, अरविंद ध्रुव और जीत राम यादव को मुख्य गवाह बनाया गया था.  इन तीनों अफसरों ने अपने बयान में कहा था कि उन्हें घूस की रकम में हिस्सा मिलता था.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद इन तीनों अफसरों को बतौर आरोपी समन जारी करने के निर्देश दिए थे.  हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि वर्षों से भ्रष्टाचार में संलिप्त व्यक्ति गवाह नहीं बन सकता जबकि EOW ने अपनी जांच के दौरान यह कहा था कि वह किसे गवाह बनाए या अभियुक्त यह उसका अधिकार है.

VIDEO: बिहार : हाजीपुर में बदमाशों ने की अंधाधुंध फायरिंग, शहर में दहशत का माहौल

Featured Video Of The Day
Patna Atal Path पर भारी बवाल, VVIP काफिले पर हमला, पुलिस पर पथराव-आगजनी, Firing और लाठीचार्ज
Topics mentioned in this article