दक्षिणी अफ्रीका के देश नामीबिया के चीतों को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है. इसके तहत अगस्त तक दक्षिण अफ्रीका से 5-6 चीते भारत लाए जाएंगे. नामीबिया से चीता लाने की प्रक्रिया विदेश मंत्रालय के पास लंबित और अंतिम दौर में है. इसके तहत चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर में स्थित कूनों अभ्यारण में लाया जाएगा. इसके लिए 15 जून को दक्षिण अफ्रीका का विशेषज्ञ दल भारत दौरे पर आएगा. इसके बाद चरणबद्ध तरीके से 30 से 40 चीते भारत आएंगे. 1 पहले चरण में पांच से छह चीतों को ही भारत लाया जाएगा.
मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका का विशेषज्ञ दल देखेगा कि बड़ी बिल्ली प्रजाति भारत के पारिस्थितिकी तंत्र में कैसा व्यवहार करती है. कैसे वह जलवायु के अनुकूल सामंजस्य बिठाते हैं. इसके बाद ही चीतों के अगले बैच को लेकर आया जाएगा.
मंत्रालय के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक चीतों को लाने के लिए टेक्निकल टीम का निरीक्षण हो चुका है. चीता 70 वर्ष पहले ही भारत में विलुप्त घोषित किए जा चुके हैं. अफ्रीका से इन्हें लाने की कवायद दशकों पुरानी है. किंतु पिछले साल से इस काम में तेजी लाई गई और इस दो साल से ज्यादा की देरी से इस साल फरवरी में चीतों को वापस लाने की कवायद दोबारा जारी की गई है. इसमें केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण- एनटीसीए, वन्यजीव संस्थान से एक-एक अधिकारी शामिल थे. इसके अलावा देहरादून वन्य जीव संस्थान, मध्य प्रदेश वन विभाग के अधिकारी भी नामीबिया गए थे.
गौरतलब है कि 2010 में सबसे पहले तत्कालीन पर्यावरण मंत्री ने चीतों को लाकर भारत में बसाने की योजना को शुरु किया था. इसके तहत 12 से 14 चीतों को लाना था. इसमें आठ से दस नर और चार से छह मादा चीता आनी थी. अब इस संख्या को बढ़ाकर चालीस कर दिया गया है. भारत ने 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित किया था. इस समय देश के किसी भी चिड़ियाघर या वन्यजीव अभ्यारण में कोई चीता नहीं है.
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