- केंद्र सरकार जल्द ही दवाओं की गुणवत्ता जांच और निगरानी के लिए नया कानून लाने जा रही है
- नया ‘दवा, चिकित्सा उपकरण एवं कॉस्मेटिक्स अधिनियम 2025’ पुराने 1940 के कानून की जगह लेगा और जवाबदेही बढ़ाएगा
- इस कानून के लागू होने से नकली और घटिया दवाओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसी को पहली बार कानूनी अधिकार प्राप्त होंगे
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कफ सिरप से 23 बच्चों की मौत के बाद अब केंद्र सरकार बड़े एक्शन की तैयारी में है. पूरे देश में दवाओं की निगरानी व्यवस्था को और सख्त बनाने की योजना बन रही है. सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार जल्द ही नया कानून लाने जा रही है, जिससे दवाओं की गुणवत्ता जांच और बाजार की निगरानी को कानूनी ताकत मिलेगी. नकली और घटिया दवाओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसी को पहली बार कानूनी अधिकार मिल सकेंगे.
ड्रग कंट्रोलर ने रखा कानून का मसौदा
मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय में इस मुद्दे पर एक हाई लेवल बैठक हुई. बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने की. इस दौरान देश के ड्रग कंट्रोलर डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने ‘दवा, चिकित्सा उपकरण एवं कॉस्मेटिक्स अधिनियम 2025' का मसौदा पेश किया. इसके जरिए पुराने 1940 के कानून को हटाकर नया अधिनियम लागू किया जाएगा. इसके तहत दवा निर्माण से लेकर बाजार में बिक्री तक हर स्तर पर जवाबदेही और पारदर्शिता लाई जाएगी. नया कानून लागू होने के बाद देश में दवाओं की निगरानी प्रणाली और ज्यादा आधुनिक, सख्त और जवाबदेह हो जाएगी.
नए कानून में क्या खास?
- इस विधेयक का नाम ‘दवा, चिकित्सा उपकरण एवं कॉस्मेटिक्स अधिनियम 2025' होगा.
- इसके कानून बनने पर देश में बनने और बिकने वाली दवाओं, मेडिकल उपकरणों और कॉस्मेटिक्स की गुणवत्ता जांच और निगरानी सख्त हो जाएगी.
- इसके जरिए नकली और घटिया दवाओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसी को पहली बार कानूनी अधिकार मिलेंगे.
- दवाओं के निर्माण और निगरानी के कानून को अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से बनाया जा रहा है.
- दवाओं और इन उत्पादों की लाइसेंसिंग प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल की जाएगी.
- राज्यों के नियामकों के बीच बेहतर तालमेल और लैब की क्षमता बढ़ाने पर जोर होगा.
2 साल में 40 कंपनियों पर कार्रवाई
देश में नकली और घटिया दवाओं का जाल कितना बड़ा है, इसका अंदाजा केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है. इसके द्वारा 2023–24 में जांची गई करीब 5,500 दवाओं में से 3.2% नमूने घटिया या नकली पाए गए थे. पिछले दो साल में 40 से अधिक फार्मा कंपनियों पर कार्रवाई हो चुकी है.
कफ सिरप कांड के बाद फैसला
स्वास्थ्य मंत्रालय की यह बैठक मध्य प्रदेश में दूषित कफ सिरप के कारण कई बच्चों की मौत के कुछ दिनों बाद हुई है. मध्य प्रदेश से पहले हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और तमिलनाडु में भी घटिया सिरप से बच्चों की मौत के मामले सामने आए थे. जांच में कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल नामक जहरीले केमिकल की मिलावट पाई गई है.